'तुलसीदास रामचरित मानस में सामाजिक संबंधों में श्रेष्ठता की परिकल्पना के साथ राज्य के रूप में रामराज्य, परिवार के लिए आदर्श पुत्र, भाई, पति आदि सभी के रूप में एक उच्चतम आदर्श की कल्पंना करते हैं।' साहित्य अकादेमी के तुलसीदास : एक पुन:पाठ राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के अंतिम सत्र की अध्यक्षता करते हुए संगीत नाटक अकादेमी के अध्यक्ष, शेखर सेन ने तुलसीदास को संसार का सर्वश्रेष्ठ कवि बताया। कहा कि वे अपने अराजक समय में समाज के लिए समन्वय के आदर्श सूत्र गढ़ते हैं।
बिहार की बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली रूबी राय ने आंसरशीट में सिर्फ फिल्मों के नाम लिखे थे। उसने एक अन्य उत्तरपुस्तिका में कवि तुलसीदास का नाम 100 से भी ज़्यादा बार लिख आई थी। कुछ अन्य में रूबी ने कविताएं लिखी थीं। इन उत्तरपुस्तिकाओं को बाद में 'विशेषज्ञों' द्वारा लिखी हुई उत्तरपुस्तिकाओं से बदल दिया गया था।
बिहार टॉपर घोटाला मामले में टाॅॅपरों के दोबारा टेस्ट आश्चर्य से भर देने वाले हैं। बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने इंटर की परीक्षा में आर्ट्स में टॉप करने वाली रूबी राय का दोबारा टेस्ट लिया। बोर्ड के अधिकारियों ने रूबी राय से इसी वर्ष हुई इंटर की परीक्षा के सवाल पूछे, लेकिन वह एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सकीं।
हिंदी के अनेक दुर्लभ ग्रंथ, पुरानी पुस्तकों की प्रति, पत्रिकाओं की पुरानी फाइलें अब उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण देश के विश्वविद्यालयों में शोध कार्य प्रामाणिक ढंग से नहीं हो पाते और साहित्य में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर गड़बड़ियां बनी रहती हैं। इस कमी को देखते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने सन 1933 में प्रकाशित द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ को दोबारा प्रकाशित कर अच्छा काम किया है। लेकिन जिस तरह हड़बड़ी और असावधानी में यह ग्रंथ प्रकाशित किया गया है उसे लेकर चिंता होती है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की थी। परंतु उसके लगभग दो सौ साल बाद कुमाऊं में अल्मोड़ा के पंडित देवीदत्त जोशी ने ब्रजभाषा में श्री रामलीला नाटक लिख कर एक अनूठा प्रयोग किया। पूरी तरह गेयशैली में लिखे गए इस नाटक में उन्होंने अनेक स्वरचित गीत डाले।
गुजरात में बहुत से लोगों के लिए केंद्र सरकार के एक साल पूरा होते न होते अच्छे दिन आ गए हैं। जिनके दिन और रात पहले से काले थे, उन्हें अब अमावस्या में जीने की सलाह दी जा रही है। आज की वारीख में चाहे वह इशरत जहां का फर्जी एनकाउंटर का मामला हो या सोहराबुद्दीन की हत्या का, सब मामलों में तमाम आरोपियों को जेल से मुक्ति, मुकदमों से मुक्ति की राह निकल पड़ी है। दोषियों, आरोपियों की रिहाई की यह रेल जिस तेजी से चल रही है, उसमें 2002 गुजरात नरंसहार के दोषियों को भी मुक्ति की आस बंध गई है।