फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह की रहस्यमय मौत की रिपोर्टिंग में टीवी चैनल जूरी, जासूस, जांचकर्ता, इंसाफ देने वाला और जल्लाद सब एक साथ बन बैठे तो पत्रकारिता मानो हांफने लगी
सुशांत की मौत चाहे जिस वजह से हुई हो, वह बेहद दुखद है मगर उसके बाद का घटनाक्रम भी कम दुर्भाग्यपूर्ण नहीं।
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बात 1994 की है, जब इसरो जासूसी केस शुरू हुआ था।
मेरा मानना है कि सुशांत सिंह राजपूत पर की जा रही टेलीविजन पत्रकारिता काफी तुच्छ, बेसिर-पैर और खतरनाक स्तर पर हो रही है।
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अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जिस तरह टेलीविजन चैनलों पर इसकी रिपोर्टिंग हो रही है, उससे तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं।
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