कोविड महामारी के बाद दर्शक थिएटरों में लौटे तो रोमांस, मारधाड़, ऐक्शन का मसाला और बड़े सितारों का जलवा लुभाने लगा, जवान, एनिमल, पठान और गदर 2 की कामयाबी क्या बताती है, क्या कंटेंट प्रधान फिल्मों का दौर फिर पिछड़ गया
सरकार ने मल्टी डायमेंशनल पावर्टी के नए पैमाने और हाल में जारी कंजप्शन सर्वे के आधार पर बताया कि करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से ऊपर उठ गए हैं और देश में गरीब सिर्फ 5 प्रतिशत के आसपास बच गए हैं
भारतीय दर्शकों को बड़े सितारों की मसाला फिल्मों से परहेज नहीं है। कंटेंट-प्रधान फिल्मों की चुनौतियां अब भी बरकरार हैं। इसके बावजूद कलात्मक फिल्म बनाने वालों के हौसले पस्त नहीं होते। अच्छी फिल्मों के लिए उम्मीद जगाने के लिए यही काफी