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झारखंड के कोयला खदान में हादसा, 40 लोग फंसे, 7 के शव निकाले

झारखंड के कोयला खदान में हादसा, 40 लोग फंसे, 7 के शव निकाले

झारखंड के गोड्डा जिले में कोयला खदान के धंसने की वजह से अंदर फंसे 7 लोगों के शव निकाले गए हैं। इस हादसे में 35 डंपर गाड़ियों और उसमें सवार 40 से ज्यादा मजदूरों के अब भी खदान में फंसे होने की आशंका है। इन मजदूरों को निकालने की कोशिशें जारी हैं और बचाव कार्य में मदद के लिए पटना से एनडीआरएफ की चार टीमों के साथ रांची से भी एक टीम घटना स्थल पर पहुंच रही है।
पूर्व कोयला सचिव का दावा, तत्कालीन प्रधानमंत्री से कुछ नहीं छिपाया

पूर्व कोयला सचिव का दावा, तत्कालीन प्रधानमंत्री से कुछ नहीं छिपाया

पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता ने सोमवार को एक विशेष अदालत को बताया कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से कोई सूचना नहीं छिपाई थी। उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार भी मनमोहन सिंह के पास ही था। गुप्ता कोयला घोटाले के कई मामलों में आरोपी हैं।
कोयला घोटालाः रंजीत सिन्हा के घर की विजिटर डायरी सही पाई गई

कोयला घोटालाः रंजीत सिन्हा के घर की विजिटर डायरी सही पाई गई

कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक रंजीत सिन्हा द्वारा अड़ंगे लगाने के आरोपों की छानबीन के लिए शीर्ष न्यायालय की ओर से गठित एम.एल. शर्मा समिति ने सिन्हा को मामले में दोषी ठहराया है और कहा है कि इस मामले में प्रथम दृष्टया जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
कोयला खदान के सच को चीन्हती आंखें

कोयला खदान के सच को चीन्हती आंखें

जिंदगी के तमाम उतार-चढ़ाव के बीच इंसान कई बार आत्म मूल्यांकन के दौर से गुजरता है। इस मूल्यांकन में ‘आत्म’ के साथ जीवन की अनेक परिस्थितियों, घटनाओं के साथ चलती कई जिंदगियों और उनसे जुड़े मनुष्यों की परख भी होती है। इस पूरी प्रक्रिया में अतीत से वर्तमान और वर्तमान से अतीत के रास्ते की आवाजाही शामिल होती है। आवाजाही का यह सिलसिला बदले हुए समय के अनेक परिवर्तनों का आधार बनता है।
अडाणी की कोयला खदान में कोई पब्लिक फंडिंग नहीं : टर्नबुल

अडाणी की कोयला खदान में कोई पब्लिक फंडिंग नहीं : टर्नबुल

अडाणी की 21.7 अरब डालर की कोयला खान परियोजना के लिए पब्लिक फंडिंग नहीं होगी। यह बात आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कॉम टर्नबुल ने कही। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त करना चाहा कि वह खुद भी उनकी तरह ही जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेते हैं। इन प्रदर्शनकारियों ने मछली जैसे दिखने वाले कपड़े पहने हुए थे।
कोयला निगल सकता है भारत के जल स्रोतः ग्रीनपीस इंडिया

कोयला निगल सकता है भारत के जल स्रोतः ग्रीनपीस इंडिया

एक तरफ भारत में लगातार सूखे की खबर सूर्खियों में है तो दूसरी तरफ ग्रीनपीस को मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार उन नीतियों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जिन्हें देश के प्राचीन जंगलों, वन्यजीव और जल स्रोतों को बचाने के लिये बनाया गया है।
अपने ही जाल में फंसा 40 हजार करोड़

अपने ही जाल में फंसा 40 हजार करोड़

भारतीय जनता पार्टी ने कोयला खान आवंटन में गड़बड़ी पर बड़ा राजनीतिक जाल बिछाया और यह विवाद भी कांग्रेस पतन का कारण बना। भाजपा सत्ता में आ गई, लेकिन पिछले तीन वर्षों में कोयला कंपनियां कानूनी मामलों में फंस गईं और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) से बिजली संयंत्र खरीदने के उनके सौदे अधर में लटक गए।
मनमोहन सिंह के मौन का अर्थ। आलोक मेहता

मनमोहन सिंह के मौन का अर्थ। आलोक मेहता

मनमोहन सिंह की ईमानदारी और भलमनसाहत पर कोई प्रश्न नहीं उठाया गया। यह तर्क भी दिया जाता है कि वह राजनीतिज्ञ ही नहीं हैं। उनके वित्त मंत्री रहते शेयर घोटाले जैसे आरोप आने पर सारा कीचड़ नरसिंह राव के सिर पर उलट दिया गया। 2004 से 2014 तक दस वर्ष प्रधानमंत्री रहते हुए सरकार पर घोटालों और भ्रष्टाचार के गंभीरतम आरोप लगे एवं कांग्रेस पतन के गर्त तक पहुंच गई।
महाराष्ट्र में कोयला पावर प्लांट्स निगल रहा 1.2 करोड़ लोगों के हिस्से का पानी

महाराष्ट्र में कोयला पावर प्लांट्स निगल रहा 1.2 करोड़ लोगों के हिस्से का पानी

एक तरफ महाराष्ट्र लगातार सूखे से जूझ रहा है, दूसरी तरफ ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट ‘द ग्रेट वाटर ग्रैब-हाउ द कोल इंडस्ट्री इज डिपनिंग द ग्लोबल वाटर क्राइसिस’ में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि अकेले महाराष्ट्र में कोयला पावर प्लांट्स इतनी अधिक मात्रा में पानी का खपत करता है जो हर साल लगभग सवा करोड़ लोगों के लिये पर्याप्त है।
चर्चाः उठ रहा पर्दा काले खातों का | आलोक मेहता

चर्चाः उठ रहा पर्दा काले खातों का | आलोक मेहता

भारतीय नेता यूं मीडिया को हर बात पर कोसते रहते हैं। लेकिन उन्हें कभी-कभी ईमानदार और साहसपूर्ण पत्रकारिता की तारीफ भी कर देनी चाहिए। आखिरकार बोफोर्स, टू जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाले और विदेश में जमा काले धन और बैंक खातों का पर्दाफाश भारत के खोजी पत्रकारों ने ही किया है।
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