भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की कमान सीताराम येचूरी के हाथों में आने के कई निहितार्थ हैं। सबसे पहला एजेंडा भाकपा के साथ विलय का संभावना पर विचार करना है। भाकपा का एक धड़ा लंबे समय से यह चाह रहा है, येचूरी ने इस ओर इशारा भी किया है। संकट के दौर में वाम दलों का एका एक लोकप्परिय समाधान के तौर पर देखा जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय विश्व कप क्रिकेट की तरह आईपीएल की घटती लोकप्रियता ने खेलप्रेमियों का धर्म बदलने पर मजबूर कर दिया है। सबसे ज्यादा समय और धन की खपत के कारण लोग क्रिकेट से विमुख होकर फुटबॉल, हॉकी और कबड्डी जैसे परंपरागत खेलों के अलावा टेनिस और बैडमिंटन की ओर दिलचस्पी बढ़ाने लगे हैं।
आखिरकार राहुल गांधी की घर वापसी हो गई। अब कल वह किसानों के बीच पार्टी की क्या दशा-दिशा तय करेंगे। इसकी तैयारी में कांग्रेस पार्टी का सारा नेतृत्व जुटा हुआ है। कई नेताओं ने बताया कि अब पार्टी में एक जान का संचार होगा और वह नई ऊर्जा के साथ किसानों के बीच भू-अधिग्रहण पर जाएगी।
आंध्र प्रदेश की धरती एक बार फिर बेगुनाहों के खून से नहा गई है। आंध्र प्रदेश में 20 गरीब मजदूरों जिन्हें पुलिस ने तस्कर कहा और तेलंगाना में हिरासत में सिमी के पांच आरोपियों की हत्या की गूंज राष्ट्रीय स्तर पर हुई और पुलिसिया हत्या पर बवाल मचा।
मुसलमानों का मताधिकार छीनने की मांग पर राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया झेलने वाली शिवसेना ने मंगवार को पूछा कि जिस तरह की प्रतिक्रियाएं हो रही हैं, उसी तरह कश्मीरी पंडितों के मताधिकार का मुद्दा क्यों नहीं उठाया जा रहा है।
जीसस के बारे में एक चौकाने वाली खबर आई है। यह दावा इजरायल के रहने वाले एक भूगर्भशास्त्री ने किया है। 'डेली मेल' पर छपी रिपोर्ट के अनुसार , भूगर्भशास्त्री डॉक्टर ए शिमरॉन का दावा है कि येरुशलम में जीजस और उनके बेटे की कब्र है। उन्होंने इसकी प्रमाणिकता को पुख्ता किया है।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार से शुरू होने वाली है। इस बीच यह सवाल उठा है कि क्या अब तक के चलन के मुताबिक पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करेंगे कि नहीं। पहले सिर्फ एक बार एेसा हुआ है जब आडवाणी ने कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित नहीं किया।
आम आदमी पार्टी यानी आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार और प्रो. अजीत झा क्या करेंगे? क्या वे चुपचाप पार्टी से बाहर हो जाएंगे या अपने समर्थकों को लेकर नई पार्टी बनाएंगे? आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के तौर पर देखने वालों के सर पर आजकल ये सवाल बेताल की तरह नाच रहे हैं।