Advertisement

Search Result : "गांव मान नगर"

कनहर में परियोजना को लेकर मचा घमासान

कनहर में परियोजना को लेकर मचा घमासान

कनहर सिंचाई परियोजना निर्माण के समर्थकों ने जांच दल को बनाया बंधक स्थानीय लोग दो खेमों में बंटे। परियोजना निर्माण और विरोध में निकल रहे जुलूस। हो रही पंचायत। जिला प्रशासन की गोलीबारी में सुंदरी गांव निवासी विस्थापित अकलू चेरो गंभीर रूप से घायल।
मेरठ में दो युवकों के गुप्तांग काट कर सड़क पर फेंके

मेरठ में दो युवकों के गुप्तांग काट कर सड़क पर फेंके

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के ग्रामीण इलाके में आज दो युवकों के गुप्तांग काटकर फेंक दिए हैं। सूचना पर पुलिस ने घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया है।
देसी पान की आखिरी सांसें

देसी पान की आखिरी सांसें

देसी पान का पेशा धीरे-धीरे ख़त्म होने की कगार पर है। पान की खेती के लिए मशहूर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में देसी पान की खेती आखिरी सांसे गिन रही है। पच्चीस वर्ष पहले की तुलना में आज महज पांच फीसदी लोग ही पान की खेती कर रहे हैं।
राजस्व गांव की मांग को लेकर प्रदर्शन

राजस्व गांव की मांग को लेकर प्रदर्शन

उत्तराखंड में बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा ने बड़ा प्रदर्शन किया। बिंदुखत्ता नैनीताल जिले का एक गांव है। इसकी आबादी पच्चीस हजार से ज्यादा है।
कामयाबी की कुंजी

कामयाबी की कुंजी

सफलता की कुंजी ने गांव-कस्बों-शहर की सीमा को धुंधला दिया है। अब सभी को एक ही कड़ी जोड़ रही है-आत्मविश्वास
वेबसाइट पर गांव

वेबसाइट पर गांव

देश के गांवों को पत्रकारिता के केंद्र में लाने के लिए मशहूर पत्रकार पी. साइनाथ ने एक पहल की है। उन्होंने ग्रामीण पत्रकारिता के अपने वर्षों के अनुभव के बाद एक वेबसाइट शुरू की है। वेबसाइट का नाम है- परी (पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया) यानी ग्रामीण भारत का जन संग्रहालय। इस वेबसाइट का वेब पता है- http://www.ruralindiaonline.org/
राहुल की मुट्टी खुलने का इंतजार

राहुल की मुट्टी खुलने का इंतजार

हम गांव की चिंता में भटकते राहुल की चल और अचल तस्वीरें देखते हैं लेकिन अभी जानते कि गांवों को खुशहाल बनाने की उनकी नीतियां क्या हैं और वह इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाने वाले हैं। हम गरीबों से राहुल के मेलजोल की कोशिशों के बाबत पढ़ते हैं और भरोसा करने को तैयार हैं कि वह उनकी हालत बिना किसी बिचौलिए के जानने चाहते हैं जिस देश में गरीबों के लिए बनी योजनाओं का लाभ अक्सर फर्जी गरीब उठा लेते हैं वहां अब हम जानना चाहते हैं कि राहुल सही गरीबों की शिनाख्त का कौन सा बेहतर तरीका अपनाएंगे। हम जानते हैं क अपने पिता राजीव गांधी की तरह राहुल गांधी भी चिंतित हैं कि गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रत्येक रुपये में सिर्फ 15 पैसे उन तक पहुंचते हैं लेकिन हमारी अब यह जानने की भी अपेक्षा है कि विचौलियों द्वारा चट हो रहे बाकी के 85 पैसे राहुल गरीबों तक कैसे पहुंचाएंगे। हम जानते हैं कि राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना को राहुल गांधी अपनी यूपीए सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं और उसे पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, शहरों मे भी, लेकिन हम यह भी जानना चाहते हैं कि वह इस योजना में व्यापक धांधली कैसे रोकेंगे, कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सही लोगों को जॉब कार्ड मिले, काम पर आए मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिल पाए और इस योजना के जरिये गांवों में पक्के आधारभूत ढांचे भी बन पाएं।
Advertisement
Advertisement
Advertisement