भारतीय सेना के कमांडर दलबीर सिंह सुहाग ने अपने पूर्ववर्ती जनरल और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह पर यह कहते हुए हमला बोला है कि उन्होंने जानबूझकर उनकी पदोन्नति रोकी। यह पहला वाकया है जब किसी पदासीन सेना प्रमुख ने अपने पूर्ववर्ती और वर्तमान केंद्रीय मंत्री के खिलाफ बोला हो। भारतीय थल सेना के मौजूदा प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने जनरल वीके सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उनके प्रमोशन को जानबूझकर रोका था। उन्होंने कहा कि वीके सिंह ने रहस्यमय तरीके और दुर्भावनापूर्ण इरादे से जानबूझकर उनके प्रमोशन को रोक कर रखा था। सुहाग ने कहा कि वीके सिंह ने यह सजा उन्हें असंगत वजहों से दी थी।
न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण और नियुक्ति पर काॅलेजियम के निर्णय को लागू करने में केंद्र के विफल रहने पर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को नाखुशी जताई और कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में अविश्वास क्यों है। उच्चतम न्यायालय ने अटाॅर्नी जनरल से कहा कि वह सरकार से इस संबंध में निर्देश प्राप्त करें।
आस्ट्रेलिया के आम चुनावों में करीबी अंतर से मिली जीत के बाद मैल्कम टर्नबुल ने एक और कार्यकाल के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री पद की ली। टर्नबुल की शीर्ष प्राथमिकताओं में बजट में सुधार करना और समलैंगिक विवाह पर सार्वजनिक मतदान कराने का मुद्दा शामिल है।
कभी अति सक्रियता और कभी संयम खोकर लक्ष्मण रेखा पार कर जाना। स्मृति ईरानी की तरह इसी कारण संघ की नाराजगी के चलते जयंत सिन्हा का भी विभाग बदला। उनके मामले में एक अतिरिक्त तथ्य यह भी रहा कि उन्होंने कॉरपोरेट घरानों की लॉबी को नाराज कर रखा था। उन्हें अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण मंत्रालय नागर विमानन मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाकर भेजा गया। हालांकि, स्मृति ईरानी के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कपड़ा मंत्रालय में बदली की चर्चा के बीच जयंत सिन्हा का विभाग बदले जाने की बात दब गई।
यह समझना कि कॉमन सिविल कोड आ जाएगा तो क्या मुस्लिम औरतों में सुधार आ जाएगा, यह गलत बात है। अभी औरतों की स्थिति बहुत दूभर है, सिर्फ मुस्लिम औरतों की ही नहीं, हिंदुस्तान की ज्यादातर औरतों के साथ मर्द का जो व्यवहार है, बहुत अच्छा नहीं है, तो इसके लिए तो मर्द की सोच बदलने की जरूरत है। यदि कॉमन सिविल कोड आ गया, कानून आ गया, सब कुछ आ गया, लेकिन मर्द की जो गंदी सोच है, उसको भी तो बदलना पड़ेगा, उसकी जहनियत को बदलना पड़ेगा।
यूपी चुनाव को ध्यान में रखते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की भाजपा की तैयारी पर मुस्लिम समाज बिफर सा गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है। उसने आरोप लगाया है कि महज वोटों की राजनीति के लिए भाजपा यह मसले को उछाल रही है।
विकास सहित कई अन्य मसलों पर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना करने वाली शिवसेना ने यूनीफार्म सिविल कोड के प्रस्ताव पर मोदी सरकार को अपना समर्थन दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए साफ संदेश दिया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सरकार को आगे बढ़ना चाहिए।
देश को आजाद हुए पैंसठ साल से अधिक का समय हो गया पर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। जब इतने समय पर यह नहीं हो पाया तो भाजपा अब क्या सोच समझ कर यूनिफार्म सिविल कोड का ताना-बाना बुनने लगी है। क्या छह माह में इसे लागू करने का दम केंद्र की भाजपा सरकार के पास है या यह महज एक चुनावी चुग्गा है। जो भाजपा ने यूपी चुनाव से पहले जनता की ओर फेंक दिया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) पर एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने विधि आयोग से इस मुद्दे का अध्ययन करने को कहा है। सरकार के इस पहल को समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है जिससे देश का राजनीतिक तापमान बढ़ने की आशंका है।