लंबे समय से चल रही अटकलों को विराम देते हुए केंद्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने आज तत्काल प्रभाव से दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दो हजार सीसी और इससे अधिक की इंजन क्षमता वाली डीजल संचालित एसयूवी और कारों को खरीदने के इच्छुक ग्राहकों को अच्छी खबर देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह दिल्ली और एनसीआर में इन वाहनों के पंजीकरण पर लगा प्रतिबंध हटा सकता है, बशर्ते उन पर एकबार पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर लगाया जाए।
राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था की समस्या और लोगों को हो रही असुविधा का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार ने डीजल टैक्सियों का परिचालन बंद करने के लिए उच्चतम न्यायालय से समय मांगा है।
दिल्ली सचमुच निराली है। दुनिया के किसी देश की राजधानी में नेता, अधिकारी, पुलिस, टैक्सी-ऑटो-बस चालक और ढाबा चलाने वाले ऐसी दादागिरी नहीं करते। यहां मुख्यमंत्री केजरीवाल स्वयं मनमाने ढंग से आदेश जारी करते हैं और डेढ़ करोड़ जनता की इच्छा बता देते हैं। सीधे प्रधानमंत्री को चुनौती देते रहते हैं और प्रचार पर पांच सौ करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में डीजल से चलने वाली 27 हजार टैक्सियों पर प्रतिबंध रविवार से लागू हो गया। हालांकि इसका वास्तविक असर कल ही नजर आएगा जो कि रोक लगाए जाने के बाद पहला कामकाजी दिन होगा।
ओला और उबर जैसी टैक्सी कंपनियों समेत दिल्ली और एनसीआर में डीजल टैक्सियों के दिन पूरे हो गए हैं। उच्चतम न्यायालय ने ऐसी टैक्सियों को सीएनजी में बदलने के लिए 30 अप्रैल की समय सीमा को और बढ़ाने से आज इंकार कर दिया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एप्प आधारित टैक्सी ऑपरेटरों की सर्ज प्राइसिंग को आज दिन दहाड़े लूट करार दिया और कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में तय किराया से अधिक कीमत वसूलने और लोगों को ब्लैकमेल करने की इजाजत नहीं है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सम-विषय के दूसरे चरण की असली परीक्षा कल से शुरू होनी है, जब सभी स्कूल और कार्यालय खुल जाएंगे। साथ ही अपनी मांगों को लेकर ऑटो, टैक्सी संघ के हड़ताल के आयोजन से भी सार्वजनिक परिवहन पर लोगों का खासा जोर रहेगा। दूसरे चरण को 15 अप्रैल से दो सप्ताह के लिए लागू किया गया है।