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Search Result : "तलाश जारी"

भाजपा में महिला आरक्षण की तलाश

भाजपा में महिला आरक्षण की तलाश

भारतीय जनता पार्टी ने एक समय बड़े ही जोर-शोर से महिला आरक्षण की वकालत की थी और कहा था कि भले ही सरकार महिलाओं को आरक्षण ने दे लेकिन पार्टी संगठन में आरक्षण देकर मिशाल पेश करेगी।
विश्व कपः भारत का बदला चुकता, विजय अभियान भी जारी

विश्व कपः भारत का बदला चुकता, विजय अभियान भी जारी

भारतीय गेंदबाजों ने सौ प्रतिशत परिणाम देते हुए ‌िवश्व कप मुकाबले में टीम का विजय अभियान जारी रखा है और भारत को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया है।
प्रिया पिल्लै के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस रद्द

प्रिया पिल्लै के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस रद्द

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लै के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर रद्द कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पिल्लै को 11 जनवरी को लंदन जाने वाली उड़ान से उतारे जाने के समय आव्रजन अधिकारियों द्वारा किए गए अनुमोदनों को निरस्त किया जाए।
बलात्कार पर बनी डॉक्यूमेंट्री पर विवाद जारी

बलात्कार पर बनी डॉक्यूमेंट्री पर विवाद जारी

बीबीसी4 के लिए 8 मार्च को प्रसारित होने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म इंडियाज डॉटर पर विवाद जारी है। फिल्म 57 वर्षीय इस्राइली फिल्ममेकर लेसली उडविन ने बनाई है, जिसके लिए वह दो साल तक भारत में रुकीं।
खाक हो चुकी नौका पर विवाद जारी

खाक हो चुकी नौका पर विवाद जारी

पाकिस्तान की तरफ से 31 दिसंबर 2014 की रात भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाली रहस्यमय नौका को लेकर नौसेना अधिकारियों और भारत सरकार के विवादास्पद बयानों से रहस्य और गहराता जा रहा है।
जारी है गांधी पर गोडसे का हमला

जारी है गांधी पर गोडसे का हमला

हिंदुत्ववादी ताक़तें लगातार धार्मिक ध्रुवीकरण को तेज़ करने की कोशिश कर रही हैं। कहीं पुल पर गांधी के हत्यारे गोडसे का नाम लिख कर तो कहीं गांधी पर हमला कर ये ताकतें अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही़ हैं।
चुनाव से पहले जारी है जोड़-तोड़

चुनाव से पहले जारी है जोड़-तोड़

चुनाव की पहली रात राजनीतिक पार्टियों के लिए कयामत की रात से कम नहीं होती है। इस रात के बीतने से पहले दिल्ली विधानसभा के लिए होने वाले चुनावों में राजनीतिक पार्टियां जीतने के लिए हर संभव हथकंडा अपना रही हैं।
इंसाफ की तलाश और हिंसा का चक्र

इंसाफ की तलाश और हिंसा का चक्र

राजधानी के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक पूर्व प्रोफेसर नागरिकों की एक अनुसंधान टीम के साथ घोर मोआवादी प्रभाव वाले एक जिले में गए जहां उनके एक पूर्व छात्र पुलिस अधीक्षक हैं। पुलिस अधिकारी की अपने पूर्व शिक्षक से मुलाकात का यह गर्वीला क्षण था, उन्होंने अपने गुरु के पांव छुए और उनके साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई। नागरिक अनुसंधान टीम ने तब तक प्रशासन, पुलिस और सरकार समर्थित नक्सल विरोधी सशस्त्र निजी सेना का पक्ष ले लिया था इसलिए प्रोफेसर ने माओवादियों का पक्ष लेने के लिए नदी पार जाने की बात कही। इस पर शिष्य पुलिस अधीक्षक तपाक से बोले, सर, आप उस पार गए कि दुश्मन की तरफ होंगे और हमारी गोली खा सकते हैं। मैंने जानबूझकर दोनों लोगों का नाम छिपाया है ताकि एक निजी गुफ्तगू दोनों के लिए सार्वजनिक झेंप की वजह न बन जाए। लेकिन उनकी बातचीत से प्रशासन की ताजा मानसिकता पता चलती है: कि अब नक्सलवादियों के साथ निबटने में बीच की कोई जनतांत्रिक जमीन नहीं बची है। न सिविल हस्तक्षेप की कोई पहल, जैसे जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक में बिहार के मुसहरी में की थी। अब प्रतिनिधि शासन और माओवादियों के बीच बस मैदान-ए-जंग है।
उपदेश नहीं उदाहरण की जरूरत

उपदेश नहीं उदाहरण की जरूरत

बिना भारतीय व्यवस्था में भ्रष्टाचार के क्या पाकिस्तानी आतंकवादी भी मुंबई में संहार कर सकते थे? उनके पास चार-चार सौ डॉलर के नोट मिले। कुछ रिपोर्टों के अनुसार समुद्र मार्ग से अवैध घुसपैठ कराने के लिए तटरक्षकों की रिश्वत दर 400 डॉलर है। अन्य रिपोर्टों के अनुसार कथित कठोर प्रशासन वाले गुजरात की कई मछुआरी नौकाएं विदेशी तस्करों के साथ संलिप्त हैं और शायद इसीलिए आतंकवादी ऐसी एक नौका को इतनी सरलता से गिरफ्त में लेकर मुंबई आ सके। लेकिन आतंकवादी विरोधी कठोर कानून, पाकिस्तान को कठोर कार्रवाई की धमकी और कुछ नेताओं का इस्तीफा मांगने वाले कभी भ्रष्‍टाचार के खिलाफ इतनी सक्रियता क्यों नहीं दिखाते?