मुंह में घुलने वाली चॉकलेट बनाना आसान नहीं है। सही गुणवत्ता न हो तो सब गुड़-गोबर। लेकिन अब चॉकलेट की सही गुणवत्ता नापी जा सकेगी। चॉकलेट पर शोध करने वालों ने एक नई अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल कर नई तकनीक का इजाद की है।
सेवाओं की खराब गुणवत्ता की शिकायतों से बचने के लिए दूरसंचार कंपनियों ने अब एक नई तकनीक का सहारा लिया है। इसके तहत किसी कॉल के दौरान कनेक्शन टूटने या दूसरी तरफ से आवाज सुनाई नहीं देने की स्थिति में भी कॉल कनेक्टेड दिखती है।
अमेरिका के एक शीर्ष कमांडर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच सैन्य संबंध गहरे हुए हैं क्योंकि दोनों देशों के बलों की संयुक्त प्रशिक्षण एवं सैन्य अभ्यासों में भागीदारी में इजाफा हुआ है।
प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़े भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नैनो-तकनीक विकसित कर कैंसर के उपचार में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह नैनो-तकनीक उपचार के कुछ ही घंटे के भीतर कैंसर थैरेपी के प्रभाव का निरीक्षण कर सकती है।
भारत में खतरनाक जीका वायरस के संक्रमण का कोई मामला भले ही सामने नहीं आया है लेकिन यह दुनिया का एेसा पहला देश जरूर बन गया है, जो अमेरिकी महाद्वीपों में भयावह सपना बन चुके वायरस के खिलाफ एक नहीं बल्कि दो-दो टीकों के परीक्षण के लिए तैयार है।
भारत में चिकित्सा शोध की स्थिति हमेशा विकसित देशों के मुकाबले पिछड़ी रही है। कई गंभीर बीमारियां पूरे देश में फैल जाती हैं और उसपर नियंत्रण में खासा समय लग जाता है। ऐसे में देश में चिकित्सा शोध के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग चिकित्सा अनुसंधान विभाग (डीएचआर) एवं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) पर बड़ी जिम्मेदारी आती है। आउटलुक ने आईसीएमआर की उपलब्धियों एवं चुनौतियों के बारे में परिषद की महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं अंशः
कार्बन उत्सर्जन को धीरे-धीरे खत्म करके जलवायु परिवर्तन का दीर्घकालिक हल ढूंढने की कोशिशें तेज होने के बीच भारत के एक शीर्ष वार्ताकार ने कहा है कि यदि विकसित देश भारत को पर्याप्त तकनीक और वित्तीय मदद उपलब्ध करवाकर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में इसकी मदद के लिए सहमत होते हैं तो भारत भविष्य में कोयले पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए तैयार है।
कचरे पर कोई हाथ नहीं डालना चाहता...और बात बेहद रेडियोधर्मी कचरे की हो तब तो बिल्कुल नहीं। फिर भी भारतीय परमाणु विज्ञानियों ने इस काम को अपने हाथ में लेते हुए दुनिया में पहली बार परमाणु उर्जा संयंत्रों से निकलने वाले कचरे से रेडियोधर्मी तत्व सीजियम की एक एेसी दुर्लभ किस्म विकसित की है।