जो न बदले वह फैशन ही क्या। पल-पल बदलती शैली ही फैशन की असली ताकत है। खादी आजादी की लड़ाई के वक्त से जनता के बीच लोकप्रिय है। पर इसे जनप्रिय बनाने के लिए समय-समय पर बदलाव करने पड़ते हैं। फैशन के इस दौर में खादी भी निखर रही है, संवर रही है।
उच्च शिक्षा या शिक्षा मात्र विचारहीनता के संकट से गुजर रही है। अभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सारे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को फरमान जारी किया है कि वे चयन आधारित क्रेडिट व्यवस्था वाले पाठ्यक्रम 2015-16 से लागू करें। यह एक असाधारण आदेश है। विश्वविद्यालयों में क्या पढ़ाया जाएगा, क्या नहीं, यह तय करना आयोग के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है। फिर भी, न सिर्फ उसने यह हुक्म जारी किया है, बल्कि अपने वेबसाईट पर उसने अनेक विषयों के पाठ्यक्रम बनाकर लगा भी दिए हैं। विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे इन्हें तुरंत लागू करें। इनमें बीस प्रतिशत की हेर-फेर करने की छूट उन्हें है। यह अभूतपूर्व है और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में सीधा हस्तक्षेप है। मज़ा यह है कि आयोग यह नहीं बता रहा कि आखिर ये पाठ्यक्रम तैयार किन्होंने किए हैं! स्वाभाविक है कि उसके इस कदम का शिक्षकों की ओर से कड़ा विरोध हो रहा है।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सरकारी समर्थन से आदिवासियों का हथियारबंद संघर्ष ‘सलवा जूडूम’ भले ही सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बंद हो गया हो मगर इस अभियान की परिकल्पना और शुरुआत करने वाले कांग्रेसी नेता दिवंगत महेंद्र कर्मा के बेटे छबिंद्र कर्मा इस अभियान को फिर शुरू करने की तैयारी में हैं।
पाकिस्तान के साथ लगने वाली समुद्री सीमा पर बढ़ते संकट के मद्देनजर भारतीय नौसेना गुजरात के पोरबंदर के पास एक नया नौसैन्य अड्डा बनाएगी ताकि क्षेत्र में निगरानी एवं सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जा सके।
करोड़ों लोगों की धड़कन बन चुका फेसबुक अपना अपना रूप-रंग बदल रहा है। फेसबुक ने कहा कि वह अपने न्यूज फीड को नया स्वरूप दे रहा है ताकि लोगों को अपने दोस्तों के बारे में ज्यादा बेहतर सूचना मिल सके।
पिछले 14 वर्षों के दौरान भारत में हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आंकड़े इन आरोपों को बल प्रदान करते हैं कि मॉरीशस के रास्ते भारत में काला धन सफेद करके वापस लाया जाता है। तभी तो देश में 2000 से 2014 के बीच कुल 238.63 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 35.38 प्रतिशत योगदान के साथ मॉरीशस सबसे आगे रहा है।