बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में दिल्ली सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस हत्याकांड के दोषियों को फांसी की सजा देने की दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को राज्यपाल कोविंद से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। इससे पहले मंत्रिमंडल ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश को मंजूरी दे दी। अब नए सिरे से मंत्रियों का शपथग्रहण और मंत्रिमंडल का गठन 20 नवंबर को किया जाएगा। ताजा जानकारी के मुताबिक, नीतीश विधायक दल के नेता चुन लिए गए हैं।
चुनावों में भारी जीत के बाद नीतीश कुमार की अगुवाई में बनने वाली महागठबंधन की सरकार छठ के बाद शपथ ग्रहण करेगी। हालांकि शपथ ग्रहण की तारीख अभी तय नहीं हुई है लेकिन बताया जा रहा है कि आगामी 20 नवंबर को नीतीश कुमार अपने मंत्रीमंडल के साथ शपथ ले सकते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अब भाजपा में विरोध के स्वर लगातार उभर रहे हैं। भाजपा सांसद भोला सिंह ने अपनी ही पार्टी पर मंगलवार को आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा बिहार में केवल हारी नहीं है, बल्कि घुटने तक पानी में डूब गई है।
बिहार विधानसभा में मिली करारी हार से भाजपा में खलबली सी मची हुई है। एक ओर पार्टी में हार को लेकर मंथन का दौर जारी है तो दूसरी ओर पार्टी के कई नेता एक दूसरे को हार का जिम्मेदार ठहराने की कोशिश में सारी हदें पार करते जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शत्रुघ्न सिन्हा पर निशाना साधते हुए उनकी तुलना एक कुत्ते से कर दी है।
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की शानदार जीत के एक दिन बाद महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन की भागीदार शिवसेना ने अपनी सहयोगी भाजपा पर आज यह कहते हुए कटाक्ष किया कि चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि लोगों को केवल एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है।
महागठबंधन की इस आंधी में बिहार की राजनीति के कई बड़े और चर्चित चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा, लोजपा और हम के साथ साथ एमआईएम के कई बड़े नेता हार गए हैं।
बिहार में प्रचंड बहुमत के साथ तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे नीतीश कुमार ने देश की भावी राजनीति में भूमिका के संकेत दे दिए हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद पहली बार मीडिया से रूबरू हुए नीतीश कुमार ने कहा कि देश मजबूत विपक्ष चाहता है और महागठबंधन मजबूत विकल्प है। बिहार की जनता ने समाज को बांटने की राजनीति को नकार दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति में भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्थिति को तत्काल कोई खतरा न पहुंचाएं मगर कुछ चीजें तो इसने बिलकुल साफ कर दी हैं। सबसे पहले तो इन नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी के सामने यह सबक रखा है कि समाज को बांटने वाले मुद्दे ज्यादा दूर तक आपका साथ नहीं देते। भाजपा को इस देश में अगर सही मायने में एक दक्षिणपंथी विचारधारा वाली पार्टी बनना है तो उसे सामाजिक विभाजक मुद्दों से परहेज करना चाहिए। एक बार को जनता आपकी दक्षिणपंथी आर्थिक नीतियों को तो सह लेगी मगर सामाजिक विभाजक नीतियों को नहीं। वैसे भारत में आर्थिक दक्षिणपंथी नीतियों के लिए भी जगह कम ही है।
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। भाजपा और इसके सहयोगी दलों को चुनाव में बुरी तरह हार का मुहं देखना पड़ा है जबकि नीतीश-लालू की जोड़ी ने रंग जमा दिया।