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Search Result : "नृत्य गोपाल"

गठला – आत्माओं का स्थायी पता

गठला – आत्माओं का स्थायी पता

मध्य भारत के भील आदिवासियों की संस्कृति में ऐसा माना जाता है कि मृत और जीवित आत्माएं एक ही साथ एक ही क्षेत्र में निवास करती हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के इलाकों में पाई जाने वाली इस भील जाति से जुड़ी ऐसी ही कई अन्य परंपराओं और रीति-रिवाजों को विक्रम मोहन ने एक समकालीन नृत्य नाटिका में समेटा है। उन्होंने इसका नृत्य निर्देशन भी किया है।
विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

बेटी बचाओ के जज्बे के साथ बरखा बहार नाम से एक संगीतमय समारोह का आयोजन नंदिनी फाउंडेशन और पीपल फर्स्ट की ओर से दिल्ली के मुक्तधारा ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह में गायिका मंदाकिनी बोरा के सावन पर गाए गीतों और सुफियाना गीतों ने लोगों को झूमने और तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। लोक गायिका पूजा झा के गीत भी लोगों को खूब पसंद आए।
दिल्ली में पूर्वोत्तर का नृत्य-संगीत

दिल्ली में पूर्वोत्तर का नृत्य-संगीत

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि पूर्वोत्तर भारत के राज्य देश के खास हिस्से हैं। अपनी छोटी आबादी के बावजूद इन राज्यों का देश में काफी बड़ा योगदान है। इस क्षेत्र के लोगों ने आजादी की लड़ाई में सक्रिय हिस्सेदारी की थी।
विदेशी शासन से बने बैकलाॅग को पूरा करने में जुटा संघ

विदेशी शासन से बने बैकलाॅग को पूरा करने में जुटा संघ

राष्ट्रीय स्वसंसेवक संघ ने कहा कि आजादी के पहले के एक हजार साल के विदेशी शासन के कारण बने बैकलाॅग को अब पूरा करना है और हिन्दू समाज अब अपनी स्वाभाविक शक्ति, मेधा और स्वाभिमान से खड़ा है। संघ की ओर से यह भी कहा गया कि संघ हिन्दू समाज के साथ सभी लोगों की चिंता करेगा।
दिल्ली में नृत्य महोत्सव की धूम

दिल्ली में नृत्य महोत्सव की धूम

दिल्ली में जीवनपानी मेमोरियल महोत्सव का आगाज हो चुका है। प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना और सेंटर फॉर इंडियन क्लासिकल डांसेस की संस्थापक सोनल मानसिंह की कल्पना का मूर्त रूप यह उत्सव अभिलाषा की अवधारणा पर है और इस बार इसे स्वच्छ भारत अभियान को समर्पित किया गया है।
दिव्य दैहिकता की लय से दीप्त देवदासी नृत्य

दिव्य दैहिकता की लय से दीप्त देवदासी नृत्य

देवदासी नृत्य का दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य से नाभि-नाल का रिश्ता रहा है। इसकी गरिमामई वापसी के लिए चल रहे प्रयासों की कड़ी में ही यशोधा राव ठाकुर की प्रस्तुतियों को देखा जा सकता है।
कला को जीवन देती कला

कला को जीवन देती कला

खजुराहो नृत्य समारोह-एक ऐसे दौर में जब कला को खुद को जिंदा व प्रासंगिक बनाए रखने के लिए जद्दोजेहद करनी पड़ रही है, अलग-अलग कलाओं का एक-दूसरे का सहारा बनकर एक मंच पर आना एक सुकून देने वाला अनुभव है। खजुराहो नृत्य समारोह ऐसा करने में काफी हद तक कामयाब रहा है।
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