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राजनीति की नर्सरी है छात्र राजनीति

राजनीति की नर्सरी है छात्र राजनीति

समाजवादी छात्र सभा केे निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह यादव का मानना है कि छात्र राजनीति से ही राजनीति की शुरुआत होती है। अगर राजनीति के क्षेत्र में युवा जाना चाहते हैं तो छात्र राजनीति से इसकी शुरुआत करनी चाहिए। छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने वाले सुनील आज के युवाओं को राजनीति से जुड़ने का आह्वान भी करते हैं। लोकतंत्र में छात्र राजनीति को अहम मानने वाले सुनील सिंह यादव से आउटलुक ने बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
आजम के आतंक से बचने के लिए राजभवन में गुहार

आजम के आतंक से बचने के लिए राजभवन में गुहार

उत्तर प्रदेश के ताकतवर काबीना मंत्री आजम खां के खिलाफ फेसबुक पर टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किये गए 12वीं कक्षा के एक छात्र की जमानत लेने वाले कांग्रेस के एक नेता ने अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए मदद के लिए राजभवन के दरवाजे खटखटाये हैं।
सूर्य नमस्कार को लेकर विवाद

सूर्य नमस्कार को लेकर विवाद

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार आवश्यक करने को लेकर विवाद जारी है। प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री प्रो.वासुदेव देवनानी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार और योग के आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग को दरदिनार कर दिया है। उन्होंने अधिकारियों को स्कूलों में सूर्य नमस्कार के चार्ट लगवाने के निर्देश दिए हैं।
आरटीई के तहत 29 प्रतिशत सीटें ही भरी गईं

आरटीई के तहत 29 प्रतिशत सीटें ही भरी गईं

2013-14 में देशभर में स्कूलों में वंचित वर्ग के छात्रों के लिए कानून के इस उपबंध के तहत आरक्षित सीटों की संख्या 21,40,287 थी जिसमें से केवल 29 प्रतिशत ही भरी जा सकीं।
फेसबुक पर लिखने से रोकना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है?

फेसबुक पर लिखने से रोकना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है?

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बारे में फेसबुक पर कथित तौर पर आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने के कारण उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए के तहत एक लड़के को गिरफ्तार करने का मामला चर्चा में है।
शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।
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