उत्तराखंड के रामनगर में रहने वाले दीप रजवार अपने सोलो बैंड की वजह से सुर्खियों में हैं। वे बिना किसी की मदद लिए मुंह से माउथ ऑर्गन, हाथ से गिटार, पैरों से ड्रम बजाते हैं और इनकी धुन के साथ उनकी गायकी भी चलती रहती है। वे हर शाम कार्बेट पार्क के पास के होटलों में अपनी प्रतिभा से सैलानियों का दिल जीतते हैं।
मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के माना गांव में आजादी के बाद पहली बार दलित समाज के एक युगल की शादी में बैंड बाजे के साथ धूमधाम से बारात निकाली गई, लेकिन इसके लिए सरकार को सशस्त्र पुलिस बल तैनात करनी पड़ी।
जम्मू कश्मीर में अब शादी ब्याह समारोह में आप मनमाना खर्च नहीं कर सकते। सरकार ने मेहमानों से लेकर समारोह में परोसे जाने वाले व्यंजनों की संख्या तक सीमित कर दी है। कान फाड़ू डीजे पर भी रोक लगा दी गई है। आतिशबाजी पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार के ये आदेश पहली अप्रैल से लागू होंगे।
पांच सौ और हजार रूपये के बड़े नोटों के चलन से बाहर होने से फौरी तौर पर नकदी की भारी कमी हो जाने की वजह से शादी-विवाह का मौसम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वर्तमान हालात में कोई बड़ा उत्सव कर पाना काफी कठिन काम हो गया है।
मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 19 नवंबर को ब्रिटिश रॉक बैंड `कोल्ड प्ले’का शो आयोजित किया गया है। इस बैंड के शो में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा को आमंत्रित किया है। इस इवेंट से होने वाली कमाई का इस्तेमाल महाराष्ट्र के गांवों में शिक्षा, साफ पानी और स्वच्छता के मिशन को लागू करने में खर्च किया जाएगा।
शहर के बर्रा इलाके में एक विवाह समारोह में डीजे वाले बाबू मेरा गाना तो बजा न बजाए जाने पर बाराती और घराती युवकों के बीच जबरदस्त मारपीट हुई। पुलिस ने इस मामले में दोनो पक्षों के आधा दर्जन युवकों को हिरासत में ले लिया बाद में पुलिस स्टेशन में समझौता हो जाने पर सभी युवकों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
सूफी रॉक बैंड जुनून से 1990 के दशक में मशहूर हुए पाकिस्तानी गायक-गिटार वादक सलमान अहमद का कहना है कि सीमा पर लगी कांटेदार बाड़ों के पार भी संगीत में अकूत ताकत है और कोई बाधा इसे रोक नहीं सकती है। 90 दशक में पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु संलयन के बजाय सांस्कृतिक मेल-मिलाप की वकालत करने के लिए इस पाकिस्तानी गायक पर गद्दार का ठप्पा लगा था।
हरियाणा के गांव किनाना के रहने वाले संजय के घर में बेटी पैदा होने पर जश्न मनाया गया। ऐसा पहली दफा हुआ कि बेटी होने पर किसी ने गांव में जश्न मनाया हो। इस मौके पर गांव के लोगों को भोजन करवाया गया और डीजे और ढोल-नगाड़ों के साथ नाच-गाकर कुआं पूजन करवाया गया।