बिहार में चुनावी पराजय के बाद भाजपा में बवाल थम नहीं रहा। आज भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने पार्टी की रणनीति में खामी होने की बात कही जबकि असंतुष्ट सांसद आर.के. सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं की उस मांग का समर्थन किया जिसमें उन्होंने हार की जवाबदेही तय करने की बात कही है।
बिहार चुनाव पराजय की जिम्मेदारी तय करने के लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं के बयान का स्वागत करते हुए भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने आज कहा कि हमें जिम्मेदारी तय करने से भागना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, अब जनादेश सामने आ गया है। हम इस शर्मनाक हार से दुखी हैं। हमें जवाबदेही तय करने से भागना नहीं चाहिए।
बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अब भाजपा में विरोध के स्वर लगातार उभर रहे हैं। भाजपा सांसद भोला सिंह ने अपनी ही पार्टी पर मंगलवार को आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा बिहार में केवल हारी नहीं है, बल्कि घुटने तक पानी में डूब गई है।
बिहार विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दे दी गई है, वे हार की वजह नहीं है, उन्हें उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है,
बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार पर पार्टी में मचा घमासान जारी है। मंगलवार को भाजपा के तीन वरिष्ठ नेताओं ने एक साझा बयान जारी कर कहा है कि पार्टी ने दिल्ली में हुई हार से कोई सबक नहीं सीखा।
बिहार विधानसभा में मिली करारी हार से भाजपा में खलबली सी मची हुई है। एक ओर पार्टी में हार को लेकर मंथन का दौर जारी है तो दूसरी ओर पार्टी के कई नेता एक दूसरे को हार का जिम्मेदार ठहराने की कोशिश में सारी हदें पार करते जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शत्रुघ्न सिन्हा पर निशाना साधते हुए उनकी तुलना एक कुत्ते से कर दी है।
साहित्यिक पत्रिका समास के संपादक और साहित्यकार उदयन वाजपेयी अपनी कहानियों से ज्यादा उनके द्वारा लिए गए विभिन्न हस्तियों के साक्षात्कार के लिए पहचाने जाते हैं। कई साहित्यिक पत्रिकाओं के बीच समास का अलग तेवर है। स्थानीय पुट के साथ-साथ इसमें राष्ट्रीयता का दखल भी इसमें कम नहीं होता। साहित्यिक पत्रिकाओं की कमी और इस दुनिया के बदलते तेवर पर उन्होंने कई पहलुओं पर अपनी बात साझा की।
लगभग हर भारतीय के लिए दिवाली का त्योहार बचपन की यादों से जुड़ा होता है क्योंकि यही एकमात्र ऐसा त्योहार होता है जिसमें जमकर खरीदारी और तोहफों के लेन-देन का सिलसिला परवान पर होता है। लोग दिवाली के 10-15 दिन पहले से ही खरीदारी में जुट जाते थे।
एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में दिल्ली में चल रहे एक रणजी मुकाबले के दौरान मैदान पर ही दो खिलाड़ी आपस में भीड़ गए। दोनों ही खिलाड़ी अपनी अपनी टीम के कप्तान भी हैं।