फिल्म 'आजाद हिन्द फौज' के तीन जांबाज अफसरों के खिलाफ अंग्रेजों द्वारा लगाए देशद्रोह के मुकदमे के आसपास घूमती हुई देशद्रोह और देशभक्ति को बहुत सरल शब्दों में परिभाषित करती है।
निर्देशक तिग्मांशु धुलिया देशभक्ति में रंगी हुई राग देश लेकर हाजिर हुए हैं। विषय तो देशभक्ति है लेकिन उस दौर की जब उस पर राजनीति नहीं होती थी। फिल्म की कहानी 1945 की है।
तीन सैनिक। एक हिंदू, एक मुसलमान और एक सिख। तीनों ब्रिटिश इंडियन आर्मी के अफसर दूसरे विश्व युद्ध में सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी जॉइन कर लेते हैं। तीनों आजाद हिंद के लिए जापानियों के साथ मिलकर इम्फाल और बर्मा में जंग लड़ते हैं। जंग के बाद तीनों पर ब्रिटिश सरकार राजद्रोह और हत्या का मुकदमा चलाती है।
आमिर खान हमेशा ही कुछ नया करने में विश्वास करते हैं। बॉलीवुड उनकी इसी आदत के चलते मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहता है। इसी महीने के आखरी में 30 तारीख को उनकी फिल्म रीलिज होने वाली है और वह अनोखे ढंग से इसके प्रचार में उतर गए हैं।
दीवाली के गीत हिंदी फिल्मों में कम हैं। होली की अपेक्षा तो बहुत ही कम। और जहां होली के गीतों के परिदृश्य में अक्सर उत्सवधर्मिता रहती है और उल्लासित वातावरण रहता है, वहीं दीवाली के दृश्य की उज्जवल पृष्ठभूमि में कई गीत कॉन्टेक्ट की तरह वैयक्तिक दुख और विषाद के गीत बन कर उभरते हैं।
पाकिस्तान के छद्म युद्ध के प्रयास 70 वर्षों से चलते रहे हैं। 1965 और 1971 में तो उसे सीधे युद्ध में भारी पराजय का सामना करना पड़ा। कारगिल की घुसपैठ भी उसे महंगी पड़ी।
केंद्र की वर्तमान सरकार भले ही गौ रक्षा और गायों को लेकर जितनी भी हायतौबा मचाए मगर असलियत में यह सरकार गाय ही नहीं किसी भी जानवर की देखभाल को लेकर संवेदनशील नहीं है। यह आरोप किसी और ने नहीं पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत आने वाले एनिमल वेलफेयर बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने लगाया है।
उर्दू के मशहूर शायर और गीतकार निदा फाजली का दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया। 78 वर्षीय निदा ने मुंबई में आखिरी सांसे लीं। निदा फाजली अपनी शायरी के अलावा दोहों के लिए पूरी उर्दू दुनिया में विशेष तौर पर जाने जाते थे।
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि भारतीय उप महाद्वीप क्षेत्र से आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का परिसंघ बनाया जाना चाहिए। पासवान ने यहां पीटीआई-भाषा से कहा, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का एक परिसंघ जिसकी यूरोपीय संघ के यूरो की तर्ज पर एक मुद्रा हो, का गठन किया जाना चाहिए ताकि समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।