23 अप्रैल 2015 को दौसा के गजेंद्र सिंह के रूप में देश के हाहाकार ने जंतर-मंतर पर दम तोड़ दिया। उसकी चीखती खामोशी को सत्ता और मीडिया की धडक़नों में एक और हाहाकार के रूप में धड़कना चाहिए था।
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का कहना है कि भारत में व्यापार की पुरानी और लंबी परंपरा रही है लेकिन हमारी वर्ण व्यवस्था में व्यापारियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। कल यहां एक संस्थान के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हड़प्पा काल से हम व्यापार कर रहे हैं, लेकिन हमारी वर्ण व्यवस्था में व्यापार करने वालों -वैश्यों को काफी नीचे रखा गया है। उन्हें शूद्रों से ठीक ऊपर तीसरे क्रम पर रखा गया है।
इस वर्ष केंद्रीय बजट में जब निर्धन वर्ग के कार्यक्रमों, ग्रामीण व सामाजिक क्षेत्रों में बड़ी कटौतियां की गई तो कहा गया था कि इसकी क्षतिपूर्ति राज्य सरकारों के बजट में हो जाएगी क्योंकि राज्य सरकारों को 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर करों का अधिक हिस्सा आबंटित हो रहा है। पर अधिकांश राज्य सरकारों के बजट में कटौतियों की पूर्ण व पर्याप्त भरपाई का कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। उदाहरण के लिए राजस्थान सरकार के बजट में यह स्पष्ट नजर आता है कि इन उच्च प्राथमिकता क्षेत्रों में हुई कटौतियों की पर्याप्त क्षतिपूर्ति राज्य सरकार के बजट में नहीं हो सकी है।