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Search Result : "विनोद नागर"

हुसेन जन्‍मशती: देशनिकाले का कैनवास

हुसेन जन्‍मशती: देशनिकाले का कैनवास

इमर्जेंसी के दिनों में हुसेन को इंदिरा गांधी प्रेम के कारण बदनामी भी मिली। उन्होंने इंदिरा में दुर्गा छवि खोज ली थी। लेकिन हिंदुवादी फासिस्ट ताकतों ने बाद में हुसेन पर जो हमले किए, जिस तरह से उन्हें बदनाम किया उसके पीछे असली हुसेन को न जानना और धर्मांधता ही थी।
यादों के आइने में अमृतलाल नागर

यादों के आइने में अमृतलाल नागर

पिछले दिनों प्रसिद्ध साहित्यकार और नाच्यो मैं बहुत गोपाल, सुहाग के नुपूर जैसी कालजयी कृतियां लिखने वाले अमृतलाल नागर की 99 वीं बरसी पर बालेंदु शेखर मंगल मूर्त्ति ने उनके साथ बिताए पलों को साझा किया।
समीक्षा – टनकपुर का कानून

समीक्षा – टनकपुर का कानून

पत्रकार से फिल्म निर्देशक बने विनोद कापड़ी की पहली फिल्म मिस टनकपुर हाजिर हो बॉक्स ऑफिस के कमाई के रिकॉर्ड तोड़ पाएगी या नहीं यह तो वक्त बताएगा, लेकिन अपनी पहली ही फिल्म में विनोद कापड़ी ने बता दिया है कि यह एक जरूरी फिल्म है।
धर्मान्धता के इस दौर में विनोद मेहता की कमी खलेगीः सोनिया गांधी

धर्मान्धता के इस दौर में विनोद मेहता की कमी खलेगीः सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आउटलुक समूह के दिवंगत संस्थापक संपादक विनोद मेहता को जी.के.रेड्डी मेमोरिअल अवार्ड दिया, जिसे विनोद मेहता की पत्नी सुमिता मेहता ने स्वीकार किया। दिल्ली के जवाहर भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हुए।
वृत्तचित्र व्यवसाय के व्यवधान

वृत्तचित्र व्यवसाय के व्यवधान

बहुत दिन नहीं बीते हैं, जब बीबीसी के लिए लेजली उडविन द्वारा बनाए गए एक वृत्तचित्र पर खूब हंगामा हुआ। संसद से लेकर सडक़ तक विरोध के स्वर गूंजे और शायद इसी बहाने पहली बार भारत में वृत्तचित्र पर इतनी बात हुई।
मराठी फिल्मों पर झुकने से खफा शिवसेना

मराठी फिल्मों पर झुकने से खफा शिवसेना

महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना ने राज्य में मल्टीप्लेक्सों में प्राइम टाइम में मराठी फिल्म दिखाने के फैसले से सरकार के पीछे हटने पर नाराजगी जाहिर की है।
विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

आउटलुक पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे विनोद मेहता की किताब ‘एडिटर अनप्लग्ड’ का यहां एक सादे समारोह में लोकार्पण किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध उपन्यासकार विक्रम सेठ ने पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए।
विनोद मेहता का लखनवी अंदाज

विनोद मेहता का लखनवी अंदाज

गिरिलाल जैन के सुस्त युग के ठीक पहले शुरू होने वाले और अर्णब के स्वच्छंद युग में समाप्त होने वाले अपने कॅरियर में विनोद मेहता ने उल्लेखनीय कामयाबी पाई वह भारत की अंग्रेजी पत्रकारिता को एक हलकापन देने के साथ-साथ उसमें गंभीरता भी लाए।
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