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Search Result : "वी किशोर चंद्र देव"

ईमानदारी का मिला ईनाम, एयर इंडिया ने सुरक्षाकर्मी को दिया आउट ऑफ टर्न प्रमोशन

ईमानदारी का मिला ईनाम, एयर इंडिया ने सुरक्षाकर्मी को दिया आउट ऑफ टर्न प्रमोशन

कहते हैं ईमानदारी कभी बेकार नही जाती है। ऐसा ही कुछ एयर इंडिया के सुरक्षाकर्मी सुभाष चंद्र के साथ हुआ। पूरी लगन, निष्ठा और अतुलनीय ईमानदारी के साथ सालों से सुरक्षाकर्मी के पद पर नौकरी कर रहे सुभाष को एयर इंडिया ने सम्मानित करते हुए बिना बारी के पदोन्नति दिया है।
आजादी महात्मा गांधी के कारण नहीं मिलीः इंद्रेश कुमार

आजादी महात्मा गांधी के कारण नहीं मिलीः इंद्रेश कुमार

आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है देश को आजादी महात्मा गांधी के भारत छोड़ो अथवा असहयोग आंदोलनों की वजह से नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित सशस्त्र आजाद हिंद फौज की वजह से मिली।
क्या भारत में बाघों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई !

क्या भारत में बाघों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई !

भारत में कितने बाघ हैं। सरकार के सबसे हालिया आकलन के अनुसार यह संख्या 2,226 है। वैज्ञानिक आधार पर की गई गणनाओं का आकलन है कि यह संख्या लगभग 1500 से 3000 के बीच रह सकती है। इतना अधिक अंतर नामी परियोजना प्रोजेक्ट टाइगर को सफल या विफल बनाने में एक बड़ी वजह बन सकता है। इसलिए ये आकलन नीति निर्धारण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं।
पीके को सोनिया की फटकार, अब आजाद को करेंगे रिपोर्ट

पीके को सोनिया की फटकार, अब आजाद को करेंगे रिपोर्ट

ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी उनसे नाराज हैं और हाल ही में उन्होंने पीके को बुलाकर फटकार लगाई है और उन्हें साफ निर्देश दिया है कि आगे से उत्तर प्रदेश के मसलों पर वे राज्य में पार्टी के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद को रिपोर्ट करेंगे।
समय से पहले बहरे हो सकते हैं आज के किशोर : शोध

समय से पहले बहरे हो सकते हैं आज के किशोर : शोध

आज के किशोर टिनीटिस (कान में लगातार गूंजती आवाज) की समस्या से जूझ रहे हैं। यह बहरेपन का लक्षण होता है। एक नए अनुसंधान में पता चला है कि इन लक्षणों को प्रारंभिक चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए क्योंकि इनका सामना कर रहे युवाओं को बहरेपन का गंभीर खतरा है।
कांग्रेस की त्रिमूर्ति संभालेगी उप्र चुनाव

कांग्रेस की त्रिमूर्ति संभालेगी उप्र चुनाव

अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस के प्रचार की कमान मुख्य़तौर पर प्रियंका गांधी , दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद के हवाले रहेगी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनावों में पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया था कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस की ओर से इस त्रिमूर्ति को उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में प्रचार के लिए उतारा जाए। प्रशांत के अनुसार चूंकि भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश काफी बड़ा राज्य है इसलिए इलाहाबाद और उसके आसपास की कमान प्रियंका गांधी, लखनऊ और उसके आसपास की कमान शीला दीक्षित के हवाले रहेगी। गुलाम नबी आजाद पूरे राज्य में घूमेंगे। उनके पास अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने का जिम्मा भी रहेगा। सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने उनके इस सुझाव हो हरी झंडी दे दी है।
प्रियंका गांधी करेंगी उत्तर प्रदेश  में 200 जनसभाएं

प्रियंका गांधी करेंगी उत्तर प्रदेश में 200 जनसभाएं

कांग्रेस पार्टी के लगातार आग्रह के बाद प्रियंका गांधी ने यू पी विधानसभा चुनाव में पार्टी की सफलता के लिए करीब 200 सभाओं को संबोधित करने के लिए स्वीकृति दे दी है।
मादक पदार्थों के जहर से मुकाबले के लिए समन्वित प्रयास जरूरी: राष्ट्रपति

मादक पदार्थों के जहर से मुकाबले के लिए समन्वित प्रयास जरूरी: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि आतंकवाद, तस्करी और मादक पदार्थों से जुड़ी गतिविधियां एक दूसरे से जुड़ी हैं और देश के सामाजिक जीवन को तबाह करने वाली इन बुराइयों की कड़ियों को तोड़ने के लिए समन्वित प्रयास जरूरी हैं।
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
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