रातो रात बड़े फैसले लेने वाली यूपी की योगी सरकार ने आज स्कूलों के लिए नया ड्रेस कोड जारी कर दिया है। योगी सरकार का यह फैसला गर्मी की छुट्टियों के बाद लागू होगा। छुट्टियों के बाद सभी सरकारी स्कूलों के बच्चे नई ड्रेस में नजर आएंगे।
सिविल सर्विस डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएएस अधिकारियों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि अफसर मोबाइल पर लगे रहते हैं, इसलिए अब मैंने बैठकों में फोन लाने पर रोक लगा दी है। अफसर हर फैसले को राष्ट्रहित की कसौटी पर तौलें और सत्य निष्ठा से काम करें। मैं आपके साथ खड़ा हूं। हम जो काम करे उसका नतीजा भी आना चाहिए।
आईआईटी दिल्ली के महिला छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को सभ्य और पूरे कपड़े पहनने की सलाह देने वाले एक कथित सर्कुलर पर हंगामा होने के बाद प्रशासन को उसे वापस लेना पड़ा।
कुछ दिनों पहले भले ही महिलाओं ने हाजी अली दरगाह और त्र्यंबकेश्वर मंदिर में जाने की अनुमति प्राप्त कर ली हो लेकिन कई मंदिरों में उनके जाने की राह लंबी है। आज केरल हाईकोर्ट ने पद्मनाभस्वामी मंदिर में महिलाओं के लिए ड्रेस कोड को जारी रखा है।
प्रशासन और किसानों के बीच आदमपुर में सिविल एयरपोर्ट बनाने को लेकर जमीन अधिग्रहण मामला सुलझ गया। किसान प्रशासन को जमीन देने को तैयार हो गए। प्रशासन प्रति एकड़ 37 लाख रुपए के हिसाब से सवा 15 करोड़ रुपए देगा। डीसी केके यादव के साथ तीसरी बैठक में प्रशासन 28 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों को पैसे देने की शर्त रखी तो किसान नहीं माने।
यूनिफॉर्म सिविल कोड और तीन तलाक पर हर दिन टेलीविजन और सोशल मीडिया पर तीखी बहस जारी है। एक तबका तर्क दे रहा है कि तीन तलाक ही मुसलमान औरतों के पिछड़ेपन की वजह है। कुल मिलाकर मुसलमान औरतों के हुकूक के सिलसिले में बहस-मुबाहसे तीन तलाक तक सीमित हो गए हैं। जबकि तरञ्चकी के पायदान पर उनके आखिरी कतार में खड़े होने की असल वजह उनकी कम तालीम है।
‘हम मुस्लिम समुदाय के सामान्य नागरिक, कलाकार,बुद्धिजीवि, लेखक और कवि इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि भारत में मुस्लिम समुदाय विभिन्नताओं , मत-मतांतरों और विषमताओं से भरा है। मुसलमानों का की भी एक संगठन या जन समूह पूरे समुदाय की तरफ से बोलने का दावा नहीं कर सकता है।’ कॉन्सटीट्यूशन क्लब में तीन तलाक, यूनुफॉर्म सिविल कोड और समानता के लिए महिलाओं का संघर्ष विषय पर आयोजित गोष्ठी में यह बात सामने आई। यह गोष्ठी एडवा, अनहद और शिक्षा की ओर से आयोजित की गई थी।
दिल्ली की एक संस्था ने देश में रोजगारों के अवसर पर किए गए अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि साल 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार समाप्त हो जाएंगे। अध्ययन में कहा गया है कि ऐसा नए रोजगार के अवसरों का सृजन नहीं होने औप पूराने अवसरों के समाप्त होते जाने की वजह से होगा।