ललित मोदी गेट में एक प्रेस कान्फ्रेंस और एक इंटरव्यू के कूट संकेत भारतीय जनता पार्टी की गुटबाजी, क्रिकेट की खेमेबंदी और उससे धन के रिश्तों की एक पूरी कहानी ‘कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना’ की तर्ज पर अपने में समोये हुए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली भले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को डंसने वाले और भाजपा सांसद कीर्ति आजाद इंगित आस्तीन का सांप, जैसा कि बाद में भाजपाई शत्रुघ्न सिन्हा और आम आदमी पार्टी वालों ने भी सोशल मीडिया पर इशारा किया, हों या नहीं, उन्होंने स्वराज के नेक इरादे का तो बचाव किया, उनके कृत्य के औचित्य या नैतिकता का नहीं। और ललित मोदी, जो क्रिकेट दुकानदारी में उनके प्रतिद्वंद्वी खेमे के हैं, के बचाव से तो उन्होंने बिल्कुल ही परहेज किया।
शुरू में जो मामला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के परिवार और ललित मोदी के आपसी संबंधों की कहानी लग रहा था, उसमें बीजेपी की आन्तरिक राजनीति का कोण तब जुड़ गया जब बीजेपी के सांसद और क्रिकेट की राजनीति के माहिर कीर्ति आज़ाद ने 'आस्तीन के सांप' की बात कर दी। लोग सांप तलाशने लगे क्योंकि आस्तीन के बारे में सब को पता था।
आईपीएल घोटाले में फंसे ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज दिलवाने के मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बुरी तरह विवादों से घिर चुकी हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान उन्हें 16 बार ट्वीट कर अपनी सफाई देनी पड़ी। इस बीच, भाजपा के कुछ नेताओं ने इस प्रकरण को अंदरुनी साजिश करार दिया है।
आयकर विभाग ने कड़े शब्दों में अपने अधिकारियों से कहा है कि कर चोरों के खिलाफ अब सिर्फ छापेमारी की कार्रवाई से काम नहीं चलेगा बल्कि उन्हें लक्ष्य करते हुए सघन तलाशी अभियान चलाया जाएगा।
कारगिल शहीद सौरभ कालिया मामले पर बदला सरकार का रुख। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि शहीद सौरभ कालिया सहित पांच अन्य भारतीय जवानों को न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद इंटरनेशनल कोर्ट में जाएगी। केंद्र सरकार ने आज ही यह निर्णय लिया है। इससे पहले संसद में विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह की ओर से दिए जवाब के हवाले से खबर आई थी कि सरकार इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नहीं ले जाना चाहती है।
पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के ठिकाने से मिले अलकायदा के एक दस्तावेज में साल 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए मुंबई हमले को जाबांज फिदाई बताया गया है।
सरकार की पहली सालगिरह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार की व्यापक रणनीति तैयार कराई है। सबसे ज्यादा जोर नई योजनाओं के फायदे गिनाने और किसान विरोधी छवि से बाहर निकलने पर रहेगा। मथुरा में रैली कर खुद मोदी अपनी उपलब्धियों की झांकी पेश करेंगे। इस मौके पर किसी बड़ी योजना का ऐलान भी हो सकता है।