किसान कर्ज माफी मामले के बाद एक बार फिर मध्य प्रदेश सुर्खियों में आ गया है। इस बार प्रदेश के चर्चा में बने रहने की वजह कोई और नहीं बल्कि सरकारी मंडियों में बदइंतजामी का आलम है।
चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम हैकिंग की चुनौती को सिर्फ एनसीपी ने स्वीकार किया है। आप ने चुनाव आयोग के ईवीएम हैकथान को ड्रामा बताया है। 3 जून को होने वाले ईवीएम हैकथान के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का शुक्रवार को आखिरी दिन था।
बारिश के कारण न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच आखिरी क्रिकेट टेस्ट के आखिरी दिन का खेल नहीं हो सका जिससे कीवी टीम श्रृंखला में बराबरी की जीत से वंचित रह गई। दक्षिण अफ्रीका ने दूसरी पारी में पांच विकेट पर 80 रन से आगे खेलना शुरू किया। उसे न्यूजीलैंड को दोबारा बल्लेबाजी के लिये उतारने के लिये 95 रन और बनाने थे।
बेटे द्वारा अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने से मना करने पर एक बुजुर्ग महिला ने अपने पति के शव को बालाघाट में कटंगी रोड़ स्थित मोक्षधाम में मुखाग्नि देकर हिन्दू रीति रिवाज और परम्परा अनुसार अंतिम संस्कार किया।
इस्पात व रिफाइनरी उत्पाद क्षेत्रों के प्रभावी प्रदर्शन के चलते बुनियादी ढांचा क्षेत्र ने अक्तूबर महीने में 6.6 प्रतिशत वृद्धि दर दर्ज की जो कि बीते छह महीने में सर्वाधिक है।
महात्मा गांधी के पोते कनुभाई का सोमवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। आज सूरत में उनका अंतिम संस्कार किया गया। कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं के साथ सैकड़ों लोगों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
मध्यप्रदेश में जबलपुर के पनागर के बिहर गांव में मानवता को शर्मसार करनेे वाला मामला सामने आया है। जिसके बाद भाजपा शासित इस राज्य की सामाजिक समरसता पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। गांव में एक दबंग ने अपनी जमीन से शवयात्रा ले जाने की अनुमति नहीं दी। मजबूरन लोगों को तालाब के बीच चार फीट पानी से शव को श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा। मुसबीत यहीं कम नहीं हुई बल्कि लोग जब श्मशानघाट पहुंचे तो वहां पर सरकार की जमीन पर धान बोया गया था। नतीजन शव का अंतिम संस्कार निजी जमीन पर किया गया।
पाकिस्तान में मशहूर कवाल और सूफी गायकार अमजद फरीद साबरी को अंतिम विदाई देने जन सैलाब उमड़ पड़ा। पाक में जहां एक तरफ साबरी को गोली मारने को कई लोग उचित बता रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके जनाजे में उमड़ी भीड़ पाक की कुछ अलग तस्वीर पेश कर रही है। विरोध का मसला कुछ भी हो लेकिन उनके जनाजे में आए लोगों का समूह यह तो साफ बता रहा है कि साबरी जनता के कलाकार थे।