केंद्र सरकार महिला अधिकारों के आधार पर एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था का उच्चतम न्यायालय में विरोध करेगी और इस बात पर जोर देगी कि इस मुद्दे को समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा का कहना है कि कोई भी भाषा हिन्दी का स्थान नहीं ले सकती क्योंकि यह आम आदमी की भाषा है। ऐसे में हिन्दी को उच्च शिक्षा में शिक्षा का माध्यम (एमओआई) बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। चंद्रा ने यह बातें साहित्य अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहीं।
क्या लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना वांछित है। इस सवाल के साथ-साथ सरकार ने इसी मुद्दे से जुड़े अन्य कई सवालों को अपनी वेबसाइट माईगोव डॉट कॉम पर पोस्ट किया है ताकि वह आम जनता समेत सभी लोगों के विचार जान सके। इस मुद्दे पर अपने विचार देने की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर है।
दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को एक और झटका लगा है। पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ उनके साले की पत्नी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। मामला दर्ज होने के कारण खान को दिल्ली के वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा है।
करीब दस दिनों पहले आसमान में एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल स्पाइसजेट का एक विमान उड़ान के दौरान एमिरेट्स के एक विमान के बेहद करीब आ गया था जिससे एक बहुत बड़ी दुर्घटना की परिस्थिति बन गई थी। हालांकि स्वजनित चेतावनी से एक बड़ा हादसा होने से पहले उसे टाल दिया गया।
मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने के लिए पिछले 16 साल से संघर्षरत र्इरोम शर्मिला चानू ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ दिया। इंफाल की अदालत में इरोम द्वारा अनशन तोड़ने की सूचना देने के बाद उन्हें जमानत दे दी।
मध्यप्रदेश में भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी में छात्राओं ने शुक्रवार को ड्रेस कोड और हॉस्टल की टााइमिंग को लेकर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ हल्ला बोल प्रदर्शन किया। छात्राओं को उनके लिए बनाए गए ड्रेस कोड और हॉस्टल की टाइमिंग से दिक्कत हो रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि संघ की समान नागरिक संहिता की मांग दरअसल एक आड़ है जिसके पीछे संघ की मंशा महिलाओं के अधिकारों को लेकर हिंदू पर्सनल लॉ और अपनी विचारधारा थोपना है।
देश को आजाद हुए पैंसठ साल से अधिक का समय हो गया पर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। जब इतने समय पर यह नहीं हो पाया तो भाजपा अब क्या सोच समझ कर यूनिफार्म सिविल कोड का ताना-बाना बुनने लगी है। क्या छह माह में इसे लागू करने का दम केंद्र की भाजपा सरकार के पास है या यह महज एक चुनावी चुग्गा है। जो भाजपा ने यूपी चुनाव से पहले जनता की ओर फेंक दिया है।
विकास सहित कई अन्य मसलों पर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना करने वाली शिवसेना ने यूनीफार्म सिविल कोड के प्रस्ताव पर मोदी सरकार को अपना समर्थन दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए साफ संदेश दिया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सरकार को आगे बढ़ना चाहिए।