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ऐसा भी हो रहा, मप्र की खुली जेल में परिवार के साथ रहते हैं कैदी
शंकर, इमरान, मुकेश, मांगीलाल, धर्मेंद्र, जितेन्द्र, हरिराम, महेश आदि रोज सुबह उठने के बाद नित्य क्रिया से निवृत होकर दो जून की रोटी के लिए निकल जाते और शाम को वापस आकर परिवार के साथ मनोरंजन के लिए टीवी देखते हैं और फिर भोजन इत्यादि कर सो जाते है। दूसरे दिन फिर यही दिनचर्या होती है। इनका जीवन आम भले ही लगता है लेकिन इसमें खास बात यह कि यह सब लोग एक खुली जेल के कैदी हैं।