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हिंदू कॉलेज में जीवंत हुए प्रेमचंद
प्रेमचंद ने जातिभेद पर तीखा प्रहार किया है जो हमारे समाज के लिए आज भी रोशनी का स्रोत है। कफन और सद्गति से काफी पहले मुक्ति मार्ग में वह इस समस्या से गंभीर मुठभेड़ कर चुके थे और उनका लेखन इस समस्या को दिखाता ही नहीं बल्कि इसे हल करने की दिशा भी देता है।