सुवर्णा ने कहा, "मेरे साथ जैसा जून में हुआ था वैसी ही घटना मेरे साथ कल फिर से घटित हुई। दिव्यांग होने के बाद भी मुझे ऊपर की बर्थ दी गई जबकि मैंने विशेष श्रेणी (दिव्यांग कोटे) से टिकट लिया था।"
अनुसूचित जाति एवं जनजाति पर जातिगत टिप्पणी को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है। अब सोशल मीडिया पर इन समुदायों के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी करना अपराध माना जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय पैरा ओलंपिक में मेडल जीतने वाली एथलीट सुवर्णा राज के साथ भारतीय रेल्वे की लापरवाही का मामला सामने आया है। सुवर्णा राज पोलियो की वजह से करीब 90 फीसदी विकलांग है। जिसकी वजह से उन्होंने व्हील चेयर पर रहना पड़ता है। उसके बाद भी रेलवे ने उसे अपर बर्थ दे दिया।
आज दलित समुदाय हर दृष्टि से चौराहे पर खड़ा है। कई दशक बाद दलित राजनीति लगभग हाशिए पर पंहुच गई है। दलित जन प्रतिनिधियों से दलित समुदाय एकदम निराश है। वे समुदाय पर होने वाले अत्याचार के मसलों पर कुछ नहीं बोलते हैं। अब दलित समाज में उन्हें खुले मंचों से पूना पैक्ट की खरपतवार कहना शुरू कर दिया है।