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बिना सब्सिडी वाले एलपीजी के दाम 27.50 रुपये बढ़े

बिना सब्सिडी वाले एलपीजी के दाम 27.50 रुपये बढ़े

विमान ईंधन के मूल्य में मामूली रूप से कटौती की गई है जबकि बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस की कीमत में 27.50 रपये वृद्धि की गई है। दामों में बदलाव वैश्विक रुख के अनुरूप है।
जमाखोरों से 5,800 टन दाल जब्त, फिर भी मंहगाई बेकाबू

जमाखोरों से 5,800 टन दाल जब्त, फिर भी मंहगाई बेकाबू

दाल की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ पांच राज्यों में की गयी कार्रवाई में 5,800 टल दालें जब्त की गई है। हालांकि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दालों की कीमतों में वृद्धि जारी है और यह 210 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
सब्सिडी रहित रसोई गैस का दाम 7.5 प्रतिशत घटा

सब्सिडी रहित रसोई गैस का दाम 7.5 प्रतिशत घटा

प्राकृतिक गैस की अंतरराष्ट्रीय कीमत में गिरावट के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने भी सब्सिडी रहित रसोई गैस के मूल्य में 7.5 प्रतिशत कटौती की घोषणा की है। इस लिहाज से दिल्ली में पहले 559.50 रुपये पर मिल रहा गैस सिलेंडर (14.2 किलो) आज से 517.50 रुपये में बिकेगा।
थोक मंहगाई दर घटी, लगातार 10 महीने जीरो से कम

थोक मंहगाई दर घटी, लगातार 10 महीने जीरो से कम

पिछले महीने मंहगाई दर घटकर शून्य से 4.95 प्रतिशत नीचे चली गई। आज जारी हुए महंगाई के आंकड़ों में ऐतिहासिक गिरावट देखी गई। हालांकि इस दौरान प्याज और दलहन लगातार मंहगी हुई हैं।
राजस्थान में सरकारी दुकानों से निजी कंपनियों को मिलेगा मुनाफा

राजस्थान में सरकारी दुकानों से निजी कंपनियों को मिलेगा मुनाफा

सरकारी उचित मूल्य की 5,000 दुकानों पर निजी कंपनी बेचेंगी अपना माल, दुकान सरकार की, लाभ कंपनी का, पीपीपी मॉडल की घुसपैठ पीडीएस ढांचे में भी
दालों को छोड़कर खरीफ फसलों के एमएसपी में मामूली वृद्ध‍ि

दालों को छोड़कर खरीफ फसलों के एमएसपी में मामूली वृद्ध‍ि

खरीफ फसलों के लिए केंद्र सरकार ने न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य का ऐलान किया है। हालांकि अरहर, मूंग और उड़द पर 200 रुपये का अतिरिक्‍त बोनस दिया जाएगा लेकिन धान, कपास, ज्‍वार, बाजार जैसी अधिकांश खरीफ फसलों के समर्थन मूल्‍य में 15 से 50 रुपये तक की मामूली बढ़ोतरी की गई है।
अमूल का दूध दो रुपये महंगा

अमूल का दूध दो रुपये महंगा

अमूल ने गुजरात से दूध के दाम दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। अमूल की तर्ज पर अन्‍य डेयरी कंपनियां भी दूध महंगा कर सकती हैं। इस तरह एक जून सर्विस टैक्‍स भी 12.36 फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी हो जाएगा। इस तरह आम आदमी की जेब पर महंगाई की मार पड़नी तय है।
उच्‍च शिक्षा पर एक नया संकट

उच्‍च शिक्षा पर एक नया संकट

उच्च शिक्षा या शिक्षा मात्र विचारहीनता के संकट से गुजर रही है। अभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सारे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को फरमान जारी किया है कि वे चयन आधारित क्रेडिट व्यवस्था वाले पाठ्यक्रम 2015-16 से लागू करें। यह एक असाधारण आदेश है। विश्वविद्यालयों में क्या पढ़ाया जाएगा, क्या नहीं, यह तय करना आयोग के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है। फिर भी, न सिर्फ उसने यह हुक्म जारी किया है, बल्कि अपने वेबसाईट पर उसने अनेक विषयों के पाठ्यक्रम बनाकर लगा भी दिए हैं। विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे इन्हें तुरंत लागू करें। इनमें बीस प्रतिशत की हेर-फेर करने की छूट उन्हें है। यह अभूतपूर्व है और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में सीधा हस्तक्षेप है। मज़ा यह है कि आयोग यह नहीं बता रहा कि आखिर ये पाठ्यक्रम तैयार किन्होंने किए हैं! स्वाभाविक है कि उसके इस कदम का शिक्षकों की ओर से कड़ा विरोध हो रहा है।
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