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उत्‍तर पुस्तिका में फिल्मों के नाम व कविताएं लिखी थी बिहार की टाॅपर रूबी राय

उत्‍तर पुस्तिका में फिल्मों के नाम व कविताएं लिखी थी बिहार की टाॅपर रूबी राय

बिहार की बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली रूबी राय ने आंसरशीट में सिर्फ फिल्मों के नाम लिखे थे। उसने एक अन्य उत्तरपुस्तिका में कवि तुलसीदास का नाम 100 से भी ज़्यादा बार लिख आई थी। कुछ अन्य में रूबी ने कविताएं लिखी थीं। इन उत्तरपुस्तिकाओं को बाद में 'विशेषज्ञों' द्वारा लिखी हुई उत्तरपुस्तिकाओं से बदल दिया गया था।
देह व्यापार से किशोरियों को बचाने के लिए एक्स रे परीक्षण

देह व्यापार से किशोरियों को बचाने के लिए एक्स रे परीक्षण

वेेश्यावृत्ति में किशोरियों के प्रवेश को रोकने की कोशिश के तहत यौन कर्मियों का एक संठगन देह व्यापार में शामिल होने वाली लड़कियों की उम्र का पता लगाने के लिए एक्स रे परीक्षण का इस्तेमाल एक उपकरण की तरह कर रहा है।
सत्यजीत के फेलूदा फिर परदे पर

सत्यजीत के फेलूदा फिर परदे पर

सत्यजीत रे ने एक काल्पनिक जासूस चरित्र गढ़ा था, फेलूदा। फेलूदा इतना मशहूर हुए कि सभी को इसका इंतजार रहने लगा। यही फेलूदा नए साल में दर्शकों से मिलने आ रहे हैं।
रे की फिल्म पर वृत्तचित्र

रे की फिल्म पर वृत्तचित्र

सिनेमा को चाहने वाले इस साल दिग्गज फिल्मकार सत्यजित रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली के साठ साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसी बीच रे की भारत में कम और यूरोप-अमेरिका में ज्यादा सराही गई फिल्म अरण्येर दिन रात्रि पर एक डॉक्यूमेंट्री रिवाइविंग इमेजरी सामने आई है। पिछले दिनों रांची, झारखंड में इसका प्रीमियर हुआ।
इमरजेंसी के अहम किरदार और उनकी भूमिकाएं

इमरजेंसी के अहम किरदार और उनकी भूमिकाएं

40 साल पहले आपातकाल के रूप में हुई लोकतंत्र की हत्‍या के लिए अक्‍सर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के नाम ही सामने आते हैं। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कई अहम किरदार आपातकाल में अहम भूमिका निभा रहे थे।
नौकरी की फिक्र छोड़ कारोबार पर दांव

नौकरी की फिक्र छोड़ कारोबार पर दांव

यकीन करना आसान नहीं हैं। ये तीसेक साल से कुछ ज्‍यादा के नौजवान हैं, जिन्‍होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्‍छी नौकरी हासिल भी की और फिर छोड़ भी दी। खुद का कारोबार शुरू किया और कामयाब भी हो गए। आज ये तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स कंपनी के मालिक हैं। मैंने पूछा मल्‍टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़कर अपना काम शुरू करते हुए असफलता का डर नहीं लगा? आर्थिक दिक्‍कतें नहीं आईं? जवाब देखिए, ज्‍यादा से ज्‍यादा क्‍या होता वापस नौकरी करनी पड़ती। इतनी पढ़ाई और काम करने के बाद इतना भराेसा तो था कि भूखे मरने वाले नहीं हैं। इसलिए ज्‍यादा फ्रिक नहीं हुई।
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