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Search Result : " पवन नेगी"

विश्व टी-20 में युवी, भज्जी और नेगी बने चयनकर्ताओं की पसंद

विश्व टी-20 में युवी, भज्जी और नेगी बने चयनकर्ताओं की पसंद

युवा आलराउंडर युवराज सिंह, हरभजन सिंह और पवन नेगी को विश्व ट्वेंटी20 और एशिया कप की टीम में जगह देकर चयनकर्ताओं ने सबको चौंका दिया है। इन दो टूर्नामेंटों की 15 सदस्यीय भारतीय टीम में मनीष पांडेय के बजाय अजिंक्य रहाणे जबकि युवा खिलाड़ियों जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पंडया को भी मौका दिया गया है। टीम में इशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार जैसे तेज गेंदबाज भी नहीं हैं।
अहसासों का अमृत कलश है ‘किनारे की चट्टान'

अहसासों का अमृत कलश है ‘किनारे की चट्टान'

‘किनारे की चट्टान’ काव्य संग्रह के लेखक के अनुसार कविता लिखना जटिल प्रक्रिया है। सच कहूं तो मुझे कविता की सारी टेक्निकल डिटेल का आज भी कोई खास पता नहीं है। बस, मन को जो चीज कचोटती है उसे पन्नों पर उतार लेता हूं और कविता बनने या न बनने का निर्णय पाठकों पर छोड़ देता हूं।’ ये बातें काव्य संग्रह ‘किनारे की चट्टान’ के लेखक पवन चौहान ने अपने काव्य संग्रह में कही हैं।
हेलीकॉप्टर का मलबा मिला, सवारों की तलाश जारी

हेलीकॉप्टर का मलबा मिला, सवारों की तलाश जारी

पिछले चार दिन से लापता पवन हंस के हेलीकॉप्टर का मलबा सोमवार सुबह अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में थिनसा और सांगलियन गांवों के बीच मिल गया, लेकिन इसमें सवार एक उपायुक्त सहित तीन लोगों के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।
राज्यसभा में खान और खनिज विधेयक को मंजूरी

राज्यसभा में खान और खनिज विधेयक को मंजूरी

काफी विवादों और तकरार के बाद खान एवं खनिजों के मामले में राज्यों को और अधिक अधिकार देने वाले चर्चित विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। कांग्रेस एवं वाम दलों को छोड़कर अधिकतर पार्टियों ने इसका समर्थन किया जबकि जदयू ने यह कह कर वाकआउट किया कि वह इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहता है।
एक विद्रोही गीत की कहानी

एक विद्रोही गीत की कहानी

देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसी घटनायें कम ही सुनने को मिलती हैं कि एक गीत किसी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दे और सरकार को उस गीत और गीतकार के खिलाफ पूरी ताकत झोंकनी पड़ी हो। और आख़िरकार वह गीत ही सरकार का विदाई गीत बन गया हो।
प्रकृति से छीना तो वापस भी करो

प्रकृति से छीना तो वापस भी करो

हिमाचल प्रवास के दौरान कहीं वैसे रसीले आडू भी नहीं दिखे जैसे हमने राज्य में घुसने के ठीक पहले पंचकुला में लिए थे। और लाल-लाल चेरी ने हमें सिर्फ नारकंडा के आसपास राजमार्ग पर लुभाया। पहाड़ी ढलानों पर सेबों के बागान-दर-बागान दिखते चले गए और हम लोगों से पूछते रहे, कहां गए, कहां गए हिमाचल के मशहूर सेब? शायर मिलते तो कह देते, सेबों को किन्नौरी बालाओं के रुखसार की रंगत में देखिए। लेकिन हमें पता चला, हिमाचल में इस बार फलों की पैदावार में जबर्दस्त गिरावट आई है। फलों में वहां मुख्य पैदावार सेब और नाशपाती की होती है और इन दोनों का उत्पादन इस वर्ष 50-60 प्रतिशत कम हुआ है।
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