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झाबुआ की तरह बारूद के ढेर पर बैठा नीम का थाना

झाबुआ की तरह बारूद के ढेर पर बैठा नीम का थाना

झाबुआ के पेटलवाद में डिटोनेटर का अवैध कारोबार सौ के करीब जिंदगियां लील गया। सिलसिला थमा नहीं है। झाबुआ कांड से भी अगर सरकार नहीं जागती है तो राजस्थान के अरावली क्षेत्र में झाबुआ कांड होते देर नहीं लगेगी। एक तरह से बारूद के ढेर पर बैठा है यह इलाका। खनन का विरोध करने वाले गांववासी हजारों दफा शिकायत कर चुके हैं। डिटोनेटर के कई ट्रक पकड़वा चुके हैं। यहां तक कि इस इलाके में जाने पर डिटोनेटर की पेटियां खुले में यहां-वहां पड़ी मिल जाती हैं लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन बिल्कुल मूक हैं। गांववासियों की कोई सुनवाई नहीं।
पेंशनभोगियों को घर बैठे मिलेगा डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट

पेंशनभोगियों को घर बैठे मिलेगा डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट

देश के लाखों पेंशनभोगियों को अपने जीवित रहने का प्रमाण देने के लिए कहीं और नहीं भटकना पड़ेगा। केंद्र सरकार जल्द एक नया पोर्टल शुरू करने जा रही है जहां उन्हें डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी।
प्रकृति के साथ अवसाद की न हो बात

प्रकृति के साथ अवसाद की न हो बात

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो प्राकृतिक माहौल में सैर करने से अवसाद से दूर रहा जा सकता है। जो लोग अवसाद में रहते हैं और शहरी इलाकों या बहुत भीड़ वाली जगह पर रहते हैं या ऐसी ही जगहों पर सैर करते हैं उन्हें सलाह है कि प्रकृति के थोड़ा करीब जाएं।
ब्रजेश मिश्रा थे आडवाणी-वाजपेयी में मतभेद की वजह

ब्रजेश मिश्रा थे आडवाणी-वाजपेयी में मतभेद की वजह

भारत की विदेश गुप्तचर संस्‍था रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत की आने वाली किताब ‘कश्मीरः द वाजपेयी ईयर्स’ के अंश और खुद दुलत के मीडिया में चल रहे इंटरव्यू ने एक बार फिर कांग्रेस को भाजपा पर हमलावर होने का मौका दे दिया है।
आडवाणी ने सिखाया राजधर्म, 'मैंने हवाला घोटाला के बाद इस्तीफा दिया था'

आडवाणी ने सिखाया राजधर्म, 'मैंने हवाला घोटाला के बाद इस्तीफा दिया था'

सुषमा स्‍वराज और वसुंधरा राजे पर लगे आरोपों के बीच भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने याद दिलाया कि जब उन पर हवाला कांड के आरोप लगे थे तो उन्‍होंने तुरंत इस्‍तीफा दे दिया था। वाजपेयी ने उन्‍हें मना भी किया था लेकिन उन्‍होंने किसी की नहीं सुनी।
फिल्‍म समीक्षा: अधूरी नहीं, एक कहानी पूरी सी

फिल्‍म समीक्षा: अधूरी नहीं, एक कहानी पूरी सी

यह तो तय है कि फिल्मकार पुरानी जड़ों की ओर लौट रहे हैं। 60-70 के दशक की ‘परंपराएं’ और ‘संस्कार’ उन्हें लुभा रहे हैं। हमारी अधूरी कहानी इस बात के प्रमाण देती है। एक प्रेम कहानी को फिल्माने के हजारों तरीके होते हैं। फिर भी यह तरीके तयशुदा ही है। दो नायक एक नायिका वाला यह त्रिकोण भी ऐसा ही है।
शादी के बाद की असफलता ने विद्या को डराया

शादी के बाद की असफलता ने विद्या को डराया

बॉक्स ऑफिस पर अपनी अंतिम तीन फिल्में घनचक्कर, शादी के साइड-इफेक्ट्स, बॉबी जासूस का जादू नहीं चल पाने पर फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन ने कहा है कि उनके दिमाग में एक बार यह ख्याल भी आया था कि कहीं शादी करने का असर उनके कैरियर पर तो नहीं पड़ रहा है।
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