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कला-संस्कृति

दुष्यंत कुमार और हबीब तनवीर जयंती- अपनी दुनिया और अलग रास्ते बनाने वाले दो फनकार, सत्ता को ललकारते हैं जिनके शब्द

दुष्यंत कुमार और हबीब तनवीर जयंती- अपनी दुनिया और अलग रास्ते बनाने वाले दो फनकार, सत्ता को ललकारते हैं जिनके शब्द

ग़ज़ल और नाटक दोनों ही विधाएं किसी बरगद की तरह उम्रदराज़ हैं। दोनों विधाओं ने परंपरागत परिवेश से बाहर...
व्यंग के भीष्म पितामह हरिशंकर परसाई: समाज के ठेकेदारों को हजम नहीं होती थीं पाखंड पर करारी चोट

व्यंग के भीष्म पितामह हरिशंकर परसाई: समाज के ठेकेदारों को हजम नहीं होती थीं पाखंड पर करारी चोट

पद्मश्री हरिशंकर परसाई जी, हिंदी साहित्य में व्यंग्य को सर्वथा अलग विधा का दर्जा और उत्कृष्ट मुकाम...
स्मृति: जल रही शिलूका कोई

स्मृति: जल रही शिलूका कोई

वह जितनी डोगरी की लेखिका थीं, उतनी ही हिंदी की भी थीं। अलबत्ता, हिंदी वाले उन्हें अपनी ही भाषा की लेखिका...
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