नई सहस्राब्दी के दूसरे दशक में उत्तर-स्मृति और सांस्कृतिक बदलाव के दौर पर लेखकों-संस्कृतिकर्मियों की राय
मौजूदा घटनाक्रम ऐसे बदलाव और सवाल पैदा कर रहा है, जो हमारे देश में लोकतंत्र और समावेशी संस्कृति के लिए नए-नए संकट ला रहा है। इस पर विचार जरूरी है
किंगमेकर कहलाने वाले ठाकरे परिवार के उद्धव मुख्यमंत्री बने, लेकिन शरद पवार ने दिखाया मराठा दमखम
स्थिति सामान्य होने के गृह मंत्री के दावे के विपरीत घाटी में पाबंदी बरकरार, तीन माह बाद भी मुख्यधारा के नेता हिरासत में
मंदिर और आरक्षण के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश
संस्कृति
संस्कृति प्रसंग
आज हिंदी प्रदेश सांस्कृतिक दृष्टि से सर्वाधिक संकटग्रस्त हैं, जिसकी जड़ें अस्सी के दशक से ही गहरने लगीं
धर्म, संस्कृति, भाषा, सभी में ऐसे तत्च तेजी से घुल रहे हैं, जिससे साझी संस्कृति और विरासत खतरे में
आम आदमी तक सूचनाओं की आसान पहुंच ने बदली तसवीर, अफवाहों से भी सतर्क किया
साहित्य और संस्कृति का दायरा सिकुड़ा तो विकृतियां पैदा हुईं और असली मुद्दों से ध्यान हट गया
संस्कृति, अपसंस्कृति, विकृति की विचित्र यात्रा की सुखभ्रांति
भारतीय संस्कृति प्राचीन काल से ही साझी रही है, जब-जब इसे एकांगी बनाने की कोशिश हुई, देश बंट गया
संगीत में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन इससे संगीत की विविधता घटेगी या बढ़ेगी?
सप्तरंग
अर्थव्यवस्था,
देश की एकता और अखंडता के लिए अनिवार्य है कि सभी धर्म, समुदाय, संस्कृतियों के बीच साझा संवाद हो
ऐसी क्या संवैधानिक इमरजेंसी थी कि रातों-रात राष्ट्रपति शासन हटाकर नया मुख्यमंत्री बना दिया गया
फिर साबित हुआ कि विकास और ज्ञान की सरकारी परिभाषा में गांव-कस्बों के छात्र शामिल नहीं