कांग्रेस पार्टी पांचों चुनावी राज्यों के बहाने लोकसभा की राह तैयार कर रही थी लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपना चेहरा सामने रखकर बड़ा दांव चल दिया, अब सवाल है कि 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस और उसकी छतरी के नीचे बिखरता इंडिया गठबंधन क्या करेगा
सिलक्यारा सुरंग से 17 दिन बाद निकाले गए 41 मजदूर अदम्य साहस की दास्तान रचते हैं, यह घटना त्रासदी बन सकती थी इसलिए भविष्य के लिए सबक ज्यादा अहम
मौतें बढ़ रही हैं, परिवार टूट रहे हैं, लेकिन सियासत सिर्फ नशामुक्त राज्य बनाने की शपथ उठाकर मस्त
नेहरू की राजनीतिक विरासत का लाभ लेने के साथ नेहरू की वैचारिक विरासत को भी स्वीकार करना चाहिए
संदेह है, कांग्रेस पार्टी कभी इतना साहस जुटा पाएगी कि परिवार की सत्ता को हमेशा के लिए अलविदा कह दे
क्या भाजपा की भारी जीत के पीछे कांग्रेस का अति-आत्मविश्वास और कमजोर तैयारी रही?
छत्तीसगढ़ इकलौता राज्य था, जहां जानकार कांग्रेस की आरामदेह जीत तय मानकर चल रहे थे, चुनाव परिणामों ने हर अटकलबाजी पर विराम लगाकर सबको हैरत में डाल दिया
अशोक गहलोत की कल्याणकारी योजनाएं वोटों में तब्दील नहीं हो सकीं तो दोनों ही दलों के बड़े चेहरे चुनाव हार गए, अब सवाल मुख्यमंत्री के चेहरे पर आ कर टिक गया है
भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, अहंकार के आरोपों ने कमाल दिखाया
2023 फिर बताता है कि संभव संभावनाओं में असंभव संभावना छिपी होती है, भाजपा असंभव को साधती आ रही है, दूसरे संभव को असंभव बनाने के खेल से बाहर ही नहीं आ पाते
नई प्रशासन प्रणाली का वादा करके बहुमत पाया जेडपीएम को कई चुनौतियों का सामना
इस बार का क्रिकेट विश्व कप कई मायनों में खास रहा, कई छोटी टीमों ने दमदारी दिखाई और आश्चर्यजनक उलटफेर किए
बंगाली फिल्मों में बड़ा कद रखने वाले अनिरुद्ध रॉय चौधरी ऐसे फिल्मकार हैं, जिन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म का शानदार लाभ उठाया है
क्या 2024 के चुनावी समर के लिए विपक्ष बिना किसी नेतृत्व के चुनाव लड़ेगा? भाजपा की कमान तो एक बार फिर मोदी के हाथों में होगी, लेकिन ‘इंडिया’ कुनबे का सिपहसालार कौन होगा? ताजा चुनाव परिणामों ने इस सवाल को और पेचीदा बना दिया है
गुप्त, प्रतिहार, मौर्य, मुगल, बुंदेला शासकों का शहर