कांग्रेस पार्टी पांचों चुनावी राज्यों के बहाने लोकसभा की राह तैयार कर रही थी लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपना चेहरा सामने रखकर बड़ा दांव चल दिया, अब सवाल है कि 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस और उसकी छतरी के नीचे बिखरता इंडिया गठबंधन क्या करेगा
अशोक गहलोत की कल्याणकारी योजनाएं वोटों में तब्दील नहीं हो सकीं तो दोनों ही दलों के बड़े चेहरे चुनाव हार गए, अब सवाल मुख्यमंत्री के चेहरे पर आ कर टिक गया है
2023 फिर बताता है कि संभव संभावनाओं में असंभव संभावना छिपी होती है, भाजपा असंभव को साधती आ रही है, दूसरे संभव को असंभव बनाने के खेल से बाहर ही नहीं आ पाते
क्या 2024 के चुनावी समर के लिए विपक्ष बिना किसी नेतृत्व के चुनाव लड़ेगा? भाजपा की कमान तो एक बार फिर मोदी के हाथों में होगी, लेकिन ‘इंडिया’ कुनबे का सिपहसालार कौन होगा? ताजा चुनाव परिणामों ने इस सवाल को और पेचीदा बना दिया है