भारत बीमार कैसे पड़ता है? यह कोई एेसा सवाल नहीं है, जो धर्मनिरपेक्षता या असहिष्णुता पर बहस चाह रहा हो। यह तो एक एेसा वास्तविक प्रश्न है, जिसे लेकर शोधकर्ता चकराए हुए हैं।
क्या कोई बच्चा गणित का कठिन से कठिन सवाल तीन मिनट में हल कर सकता है। जवाब हां भी हो सकता है लेकिन 120 सवालों के जवाब अगर तीन मिनट में हल करना हो तो यह कैसे संभव है। लेकिन एबेकस तकनीकी के जरिए एक, दो या तीन बच्चें नहीं बल्कि तीन हजार बच्चों ने जब एक साथ सवालों के जवाब हल करना शुरू किया तो सभी ने दांतों तले उंगली दबा ली।
क्या गंगाजल को खास बनाने के पीछे इसमें मौजूद किसी विशेष एक्स फैक्टर का योगदान है? गंगा निश्चित तौर पर भारत की सबसे पवित्रतम नदियों में से एक है और अनंतकाल से इसके जल को इसके जादुई गुणों के लिए जाना जाता है। इसी खूबी के चलते यदि गंगाजल वर्षों तक रखा जाए, तो भी यह खराब नहीं होता। इसे इस नदी का आत्म-शोधन का गुण कहा जाता है। भारतीय वैज्ञानिक इसी रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश में जुटे हैं।
कचरे पर कोई हाथ नहीं डालना चाहता...और बात बेहद रेडियोधर्मी कचरे की हो तब तो बिल्कुल नहीं। फिर भी भारतीय परमाणु विज्ञानियों ने इस काम को अपने हाथ में लेते हुए दुनिया में पहली बार परमाणु उर्जा संयंत्रों से निकलने वाले कचरे से रेडियोधर्मी तत्व सीजियम की एक एेसी दुर्लभ किस्म विकसित की है।
वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसा तरीका इजाद किया है जिसमें मेडिकल अल्ट्रासाउंड जैसी एक तकनीक का इस्तेमाल कर कंपायमान विशालकाय तारों के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की मौजूदगी का पता लगाया जा सकता है।
बीफ खाने के मुद्दे ने इन दिनों देश को आंदोलित कर रखा है जहां लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। धार्मिक रूप से बीफ सेवन वर्जित होना इस मुद्दे का एक आयाम हो सकता है लेकिन बीफ सेवन के खिलाफ एक और बेहद मजबूत पहलू यह है कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी नहीं है।