अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से दावेदारी की होड़ में सबसे आगे चल रहे अरबपति कारोबारी डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय छात्रों के पक्ष में आवाज उठाते हुए कहा है कि अमेरिका में पढ़ रहे इन भारतीयों छात्रों को डिग्री मिलते ही बाहर नहीं निकाला जाना चाहिए क्योंकि देश को उनके जैसे तेज-तर्रार लोगों की जरूरत है।
असम विधानसभा चुनाव इस बार उग्रवाद के प्रभाव से मुक्त रहने की संभावना है। भले ही चुनाव प्रचार के दौरान उग्रवादी संगठन उम्मीदवारों को डरा-धमकाकर कुछ वसूलने का प्रयास करें या किसी हिंसक वारदात को अंजाम दें, लेकिन कोई भी उग्रवादी संगठन इस चुनाव को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है।
बंगाल और असम में विधानसभा सीटों पर गठबंधन कर रही पार्टियों के बीच आपसी खींचतान सड़क पर आने लगी है। पार्टियों में नाराज असंतुष्ट भी खुलकर रोष जताने लगे हैं। कोलकाता में नाराज माकपा कैडरों ने दो इलाकों में जोनल कमेटी के दफ्तरों समेत 40 कार्यालयों पर ताला जड़ दिया। असंतोष थामने की कोशिश में राजनीतिक दलों के शीर्षस्थ नेताओं के पसीने छूटने लगे हैं। बंगाल में वाममोर्चा और कांग्रेस के बीच सीट समझौते को लेकर असंतुष्ट माकपा कैडर सड़क पर उतरने लगे हैं। अनुशासित मानी जाने वाली माकपा के कोलकाता स्थित मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन का दौर-दौरा शुरू हो गया है। इसी तरह असम में भाजपा, असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के कार्यकर्ता खुलकर असंतोष जताने लगे हैं।
असम विधानसभा की 126 सीटों के लिए चुनाव चार और ग्यारह अप्रैल को होना है लेकिन चुनावी तस्वीर साफ नहीं है। किसी भी पार्टी या गठबंधन के पक्ष में हवा नहीं है। अंतिम क्षण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने असम गण परिषद (अगप) के साथ गठबंधन किया है, जबकि हाग्रामा मोहिलारी नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ उसका गठबंधन पहले से है।
असम विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठजोड़ करने वाली असम गण परिषद (अगप) के प्रमुख प्रफुल्ल कुमार महंत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर असम के हितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। गठबंधन में भाजपा द्वारा अगप के लिए कम सीटें छोड़े जाने से भी वे नाराज हैं। अंग्रेजी दैनिक `द इकोनॉमिक टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में महंत ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अभी ततक असम के लिए कुछ भी नहीं कर पाए हैं। भारत-बांग्लादेश के बीच जमीन हस्तांतरण को लेकर असम में बेहद नाराजगी थी। फिर भी उन्होंने यह संधि की।
अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर लगाई जा रही अटकलों का जवाब देते हुए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने आज साफ कर दिया कि मुख्यधारा की राजनीति में जाने या चुनाव लड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।