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'ट्रांसफर इंडस्‍ट्री' पर सिसौदिया और आशुतोष का निशाना

'ट्रांसफर इंडस्‍ट्री' पर सिसौदिया और आशुतोष का निशाना

दिल्‍ली के अफसरों की लगाम किसके हाथ में रहेगी, इस मुद्दे पर दिल्‍ली सरकार और उप राज्‍यपाल के बीच टकराव तेज होता जा रहा है। बुधवार को दिल्‍ली के उप मुख्‍यमंत्री मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने दिल्‍ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग इंडस्‍ट्री पर निशाना साधा है। सिसौदिया का कहना है कि ईमानदार अफसरों की नियुक्ति से ट्रांसफर इंडस्‍ट्री चलाने वाले लोगों को दर्द हो रहा है। इस मसले में उन्‍होंने रिटायर्ड आईएएस अफसरों को भी आड़े हाथों लिया है।
केजरीवाल और आप नेता अदालत में पेश हुए

केजरीवाल और आप नेता अदालत में पेश हुए

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तीन अन्य आप नेता यहां पिछले साल एक आंदोलन के दौरान निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और जनसेवकों को उनकी जिम्मेदारी निभाने से रोकने के मामले में शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश हुए।
भूमि अधिग्रहण पर आंदोलन करेगी आप

भूमि अधिग्रहण पर आंदोलन करेगी आप

आम आदमी पार्टी ने बुधवार को चेताया कि केंद्र अगर विवादित भूमि विधेयक पर आगे बढ़ता है तो पार्टी उसके खिलाफ अपने आंदोलन का दायरा बढ़ाएगी। वहीं पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस विधेयक के विरोध में यहां एक रैली आयोजित कर रहे हैं।
आप के बागियों पर फैसला आज

आप के बागियों पर फैसला आज

आम आदमी पार्टी के नेतृत्व से नाराज होकर स्वराज संवाद बैठक मेें हिस्सा लेने वाले बागियों पर आज कार्रवाई होगी। इसमें पार्टी के विधायक पंकज पुष्कर पर भी कार्रवाई हो सकती है। क्योंकि पुष्कर पार्टी लाइन के खिलाफ स्वराज संवाद की बैठक में हिस्सा लेने गए थे। आप के कई नेताओं ने एक स्वर में कहा कि जो पार्टी लाइन के खिलाफ काम कर रहे हैं उनके लिए कड़ा कदम उठाया जाएगा चाहे वह कोई भी हो।
आप का एजेंडा क्या है

आप का एजेंडा क्या है

क्या आम आदमी पार्टी (आप) सचमुच लोकतांत्रिक मूल्यों या सामाजिक सरोकारों के लिए लड़ना चाहती है या जैसे-तैसे चुनाव जीतना ही इसका पहला मक़सद है? पार्टी के भीतर चल रही उथल-पुथल से यह अहम सवाल पैदा होता है।
दिल्ली पुस्तक मेला: पाठक कम लेखक ज्यादा

दिल्ली पुस्तक मेला: पाठक कम लेखक ज्यादा

विश्व पुस्तक मेले में इस बार हिंदी लेखकों की आमद ने पाठकों को भी पछाड़ दिया है। देश के कोने-कोने से पधारे लेखकों को देख कर लगता है कि हिंदी साहित्य की परंपरा बहुत समृद्ध हो रही है। किताबों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि एक-एक लेखक साल भर में कम से कम पांच किताबें लिखने का माद्दा रखता है।
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