उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को उसके खिलाफ आरोप पत्र के अभाव में 90 दिन से अधिक निलंबित नहीं रखा जा सकता क्योंकि ऐसे व्यक्ति को समाज के आक्षेपों और विभाग के उपहास का सामना करना पडता है।
भारतीय संविधान के तहत उपलब्ध न्यायिक सुनवाई के अधिकार और संस्थाबद्ध प्रणालियों में त्वरित न्याययिक सुनवाई के अधिकार की ज्यादा गुंजाइश नहीं बनाई गई है, यह हाल में 40 साल बाद ललित नारायण मिश्र हत्याकांड में आए फैसले से साबित है।