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चार्ल्स कोरिया: रोशनी और हवा से रचते थे इमारतें

चार्ल्स कोरिया: रोशनी और हवा से रचते थे इमारतें

भारत के संभवतः सबसे चर्चित और प्रतिष्ठित वास्तुकार (हालांकि मुझे स्थापति शब्द बेहतर नजर आता है) चार्ल्स कोरिया (1924-2015) का मुंबई में 16 जून को निधन हो गया। यह कला और स्थापत्य की दुनिया के लिए बुरी खबर है। उनका जन्म 1 सितंबर, 1930 के दिन सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश) में हुआ था। चार्ल्स कोरिया के निधन से कुछ ही दिन पहले चंडीगढ़ के प्रसिद्ध रॉक गार्डन’ के रचनाकार नेकचंद (1924-2015) के न रहने की बुरी खबर मिली थी।
मेहरबानी सरकार की

मेहरबानी सरकार की

गुजरात में बहुत से लोगों के लिए केंद्र सरकार के एक साल पूरा होते न होते अच्छे दिन आ गए हैं। जिनके दिन और रात पहले से काले थे, उन्हें अब अमावस्या में जीने की सलाह दी जा रही है। आज की वारीख में चाहे वह इशरत जहां का फर्जी एनकाउंटर का मामला हो या सोहराबुद्दीन की हत्या का, सब मामलों में तमाम आरोपियों को जेल से मुक्ति, मुकदमों से मुक्ति की राह निकल पड़ी है। दोषियों, आरोपियों की रिहाई की यह रेल जिस तेजी से चल रही है, उसमें 2002 गुजरात नरंसहार के दोषियों को भी मुक्ति की आस बंध गई है।
जगेन्द्र सवाल उठाता था, सत्ता ने मार दिया

जगेन्द्र सवाल उठाता था, सत्ता ने मार दिया

शाहजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र सिंह ने अपने मृत्‍युपूर्व बयान में खनन माफिया, स्मैक तस्करी और बलात्कार व हत्या आरोपी उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के इशारे पर पुलिस द्वारा उन्‍हें जिंदा जलाने की बात कही थी। इस घटना ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है। लेकिन मामले में नामजद होने के बावजूद अभी तक मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा को गिरफ्तार नहीं किया गया है। आखिरकार जगेन्‍द्र की मौत के जिम्‍मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उनके पूरे परिवार को अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने को मजबूर होना पड़ा। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा उन पर मुकदमा वापस लेने का दबाव डलवा रहे हैं।
मोदी राज में 64 फीसदी तक महंगी हुई दालें

मोदी राज में 64 फीसदी तक महंगी हुई दालें

मोदी सरकार के एक साल के दौरान विभिन्‍न महानगरों में दालों के दाम 64 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। महंगाई से राहत के तमाम दावों के बावजूद आम आदमी पर महंगाई की मार बदस्‍तूर जारी है।
राजस्थान में दलित क्यों असुरक्षित

राजस्थान में दलित क्यों असुरक्षित

राजस्‍थान में पिछले डेढ़-दो साल में दलित और सामाजिक तौर पर उपेक्षित वर्गों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले छह माह में दलित अत्याचारों की लहर सी आ गई है।
ब्रिटिश राजनीति की तमिलनाडु घड़ी

ब्रिटिश राजनीति की तमिलनाडु घड़ी

ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्‍पष्‍ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉ‍टिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।
हेडली की किताब खोलेगी मुंबई हमले के राज

हेडली की किताब खोलेगी मुंबई हमले के राज

वर्ष 2008 के मुंबई हमले में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिका में 35 साल की कैद भुगत रहे लश्कर ए तैयबा के पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली ने जेल में अपना संस्मरण लिखा है। इसमें उसने लश्कर से अपने जुड़ाव और मुंबई तथा डेनमार्क हमले की तैयारियों के बारे में लिखा है।
रुबी के रौब के पीछे क्या है राज

रुबी के रौब के पीछे क्या है राज

मसूरी स्थित आईएएस प्रशिक्षण अकादमी में फर्जी महिला आईएएस के मामले में एक रहस्य गहराता जा रहा है कि आखिर रूबी चौधरी की इतनी हेकड़ी के पीछे कौन है।
पाकिस्तान में फांसी राज

पाकिस्तान में फांसी राज

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अलग-अलग जेलों में आज तड़के दी गई चार फांसियों के साथ पिछले तीन महीने में फांसी पर लटकाए जाने वालों की संख्या 52 हो चुकी है और अगले एक हफ्ते में 40 और लोगों को फांसी दी जानी है। कल और परसों देश भर के विभिन्न जेलों में क्रमशः 9 और 12 सज़ायाफ्ता कैदियों को फांसी दी गई थी। इस तरह ताबड़तोड़ दी जा रही फांसियों के मद्देनज़र वहां के मीडिया, सामाजिक कार्यकताओं और आम लोगों के बीच कई तरह के सवाल उठने लगे है।
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