आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले पर जोर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजकोषीय नीति का पुनर्आकलन होना चाहिए।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अमेरिका के एच 1 बी वीजा का शुल्क बढ़ाने को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए कहा है कि इसका निशाना भारतीय आईटी कंपनिया हो रही हैं। वित्त मंत्री ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि राजदूत माइकल फ्रोमैन के साथ एक बैठक में भारत की चिंता को उठाया।
वैश्विक चुनौतियों के कारण भारत की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में घटकर 7.4 प्रतिशत रह जाएगी लेकिन अपेक्षाकृत अधिक सुधार से देश को विश्व की सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी। यह बात आज एशियाई विकास बैंक ने कही।
अगर आईआईटी की एक समिति की सिफारिश को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंजूर कर लिया तो देश में आईआईटी की वार्षिक फीस 90 हजार रुपये से बढ़कर 3 लाख रुपये हो जाएगी।
आम बजट से तीन दिन पहले संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि 7 से 7.75 प्रतिशत के दायरे में रहने की उम्मीद जताते हुए जीएसटी सहित तमाम आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने, सब्सिडी कम करने और राजकोषीय अनुशासन के रास्ते पर बने रहने पर जोर दिया गया है।
थोक मूल्य मुद्रास्फीति में चार महीने से चल रहा तेजी का सिलसिला जनवरी में टूट गया और इस महीने यह घटकर शून्य से 0.9 प्रतिशत नीचे रही। खाद्य उत्पादों, मुख्य तौर पर सब्जियों और दलहन के सस्ते होने से जनवरी में थोक मुद्रास्फीति नरम पड़ी है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आगामी वित्त वर्ष में त्वरित वृद्धि के लिए ढांचागत सुधारों को जारी रखने का संकल्प लेते हुए आज कहा कि भारत में 8-9 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है तथा उंची वृद्धि दर से ही गरीबी मिट सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि आगामी बजट में लोकलुभावन नीतियों के बजाय ढांचागत सुधारों पर ध्यान दिया जाएगा।
अभी तक हर मंच पर देश के आर्थिक विकास के बड़े दावे करने वाली सरकार ने अब आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में बड़ी कटौती की है। इसके लिए अब सरकार देश में कमजोर मानसून का हवाला दे रही है हालांकि हाल तक सरकार ये दावा कर रही थी कि कमजोर मानसून से आर्थिक विकास पर बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ने वाला है।
भारत को छोड़कर उभरते बाजारों को लगातार पांचवें साल वृद्धि में नरमी का सामाना करना पड़ा है और यह दौर पहले के अनुमानों से संभवत: लंबा खिंच रहा है। यह बात विश्व बैंक ने कही है।