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										    जिस समय ये पंक्तियां लिखी जा रही थीं या पढ़ी जा रही होंगी, उस समय भी उत्तर भारत में बुरी तरह मायूस कोई किसान अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा होगा। अन्नदाता की हालत बुरी है, यह हम सब जानते हैं लेकिन उसकी जीवन की डोर काटने के लिए सिर्फ एक फसल की बर्बादी बहुत है। 										
                                                                                
                                     
                                                 
  
  
  
  
  
  
  
  
  
			 
                     
                    