बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर विपक्षी पार्टियों ने पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना करनी शुरु कर दी है। ना सिर्फ विपक्षी पार्टियों ने ही बल्कि भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना भी मोदी सरकार के खिलाफ अब मैदान में उतर गई है। इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध करने वाली पार्टियों ने कई सवाल भी खड़े किए हैं।
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की ओर से आयोजित ‘साझा विरासत बचाओ सम्मेलन’ में विपक्षी दलों ने एकजुट होकर अपनी ताकत का अहसास कराया। सम्मेलन में जुटे विपक्षी नेताओं ने गुजरात विधानसभा तथा देश के अगले आम चुनाव के लिए विघटनकारी ताकतों को रोकने के लिए ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया। सम्मेलन में विपक्षी दलों के नेता जिस तरह से जुटे उसे सियासी हलकों में अहम माना जा रहा है।
एक ओर जहां महागठबंधन तोड़ नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा के साथ हाथ मिलाकर नई सरकार बना ली है, तो वहीं जद (यू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिया है।
राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद ने 65.65 फीसदी वोट पाकर विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार को बड़े अंतर से हराया है। हालांकि, विपक्ष की एकजुटता को पहले ही झटका लगा चुका था, लेकिन चुनाव के नतीजे कई राज्यों में कोविंद के पक्ष में क्रास वोटिंग को उजागर करते हैं। लगता है अंतर आत्मा की आवाज पर वोट देने की मीरा कुमार की अपील पर सबसे ज्यादा अमल कांग्रेसी विधायकों ने ही किया।