बुधवार को दिल्ली मेंं आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान फंदा लगाकर खुदकशी करने वालेे नांगल झामरवाडा के किसान गजेंद्र सिंह कल्याणवत (42) की आज यहां अंत्येष्टि कर दी गई।
गजेंद्र की मौत की जांच सियासी दांव-पेच में उलझती जा रही है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं। जिससे केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। दिल्ली पुलिस ने हादसे की जांच के जिला मजिस्ट्रेट के अधिकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। दूसरी तरफ पलटवार करते हुए नई दिल्ली के डीएम संजय सिंह ने पुलिस को सुबह 11 बजे तक मामले से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर पुलिस के ख्ािलाफ ही कार्रवाई की जाएगी।
आज जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी की रैली में आत्महत्या करने वाला व्यक्ति राजस्थान के दौसा जिले का रहने वाला किसान गजेंद्र सिंह था। मौजूद लोगों के अनुसार उसकी उम्र लगभग 50 वर्ष थी।
जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी की रैली में आत्महत्या करने वाला किसान गजेंद्र सिंह राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ नारेबाजी कर रहा था। गोंडा से आए किसान दिग्गज सिंह और उनके साथियों के अनुसार वह बोल रहा था ‘ वसुंधरा राजे मुर्दाबाद’ ।
शर्म इनको नहीं आती। एक किसान ने अपनी जान दी। उसने किस गहरे नैराश्य में डूबकर अपनी जिंदगी को फांसी लगाई, इस पर चर्चा करने के बजाय बाकी सारे पहलुओं पर बात पूरी बेहयायी के साथ बैटिंग चल रही है। किसान अपनी जेब में अपनी व्यथा की जो छोटी सी पुर्जी लेकर चल रहा था, वैसी ही पुर्जी लाखों किसानों ने आत्महत्या करने से पहले अपने दिलों में लिखी होगी।
खेती के लिए लिये गये ऋण चुकाने में असफल रहने से व्यथित एक किसान ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली है। यह घटना पश्चिम बंगाल के मालदा जिले की है। इसके साथ ही राज्य में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढ़ कर नौ हो गयी है।
हरितक्रान्ति के गवाह पंजाब में बैसाखी के बाद किसान ढोल-नगाड़े तो अब वैसे भी नहीं बजाते। लेकिन कृषि प्रधान देश के लिए यह बात शर्म की है कि इस मौके पर आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाएं अपने हक के लिए चौखट से बाहर निकल सडक़ों पर आ गई हों। खेतों से मंडियों में पहुंचे गेंहू के सुनहरे दाने और इन दिनों रोपे जा रही धान की पौध इन्हें खुश नहीं कर रहीं। इनके हमनिवाज कर्ज के चलते आत्महत्या कर चुका है, जमीन इनके पास है नहीं, कर्जा जस के तस है, बैंक और आढ़ती इन्हें जलील करने से बाज नहीं आ रहे, जमींदारों के घरों का गोबर उठाकर बच्चे पाल रही हैं या लोगों के फटे लीड़े सिलती हैं ये।