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नज़रिया

पाकिस्तानी उच्चायोग में एक ‘राष्ट्रविरोधी’ शाम

पाकिस्तानी उच्चायोग में एक ‘राष्ट्रविरोधी’ शाम

पाकिस्तान उच्चायोग अब्दुल बसीत ने 23 मार्च को अपने देश के राष्ट्रीय दिवस पर हुर्रियत नेताओं को दावत दी कि मीडिया के एक हिस्से ने इसे द्विपक्षीय वार्ताओं से कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को अलग रखने के भारत-पाक करार का पुन: उल्लंघन बताया। लेकिन सरकारी प्रतिक्रिया को देखें तो असहज होते हुए भी भारत सरकार के लिए यह मसला इतना बड़ा नहीं है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर स्थगित कर दी जाए।
कोर्ट के साइबर फैसले से नागरिक गौरवान्वित

कोर्ट के साइबर फैसले से नागरिक गौरवान्वित

यह आम बात हो गई है कि भारत के राजनीतिज्ञ कठोर राजनीतिक फैसले लेने से कतराते हैं और उन्हें अदालत के भरोसे छोड़ देते हैं। राजनैतिक, कार्यकारी और विधायी जिम्मेदारियों से यह पलायन ही न्यायिक सक्रियतावाद को जन्म देता है।
बजट कटौती से लड़खड़ाती सामाजिक व्यवस्था

बजट कटौती से लड़खड़ाती सामाजिक व्यवस्था

इस वर्ष केंद्रीय बजट में जब निर्धन वर्ग के कार्यक्रमों, ग्रामीण व सामाजिक क्षेत्रों में बड़ी कटौतियां की गई तो कहा गया था कि इसकी क्षतिपूर्ति राज्य सरकारों के बजट में हो जाएगी क्योंकि राज्य सरकारों को 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर करों का अधिक हिस्सा आबंटित हो रहा है। पर अधिकांश राज्य सरकारों के बजट में कटौतियों की पूर्ण व पर्याप्त भरपाई का कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। उदाहरण के लिए राजस्थान सरकार के बजट में यह स्पष्ट नजर आता है कि इन उच्च प्राथमिकता क्षेत्रों में हुई कटौतियों की पर्याप्त क्षतिपूर्ति राज्य सरकार के बजट में नहीं हो सकी है।
मेरी मां से मुझ तक पहुंची शशि की मुस्कराहट

मेरी मां से मुझ तक पहुंची शशि की मुस्कराहट

शशि कपूर को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलना बहुत ही सुखद है। वह भले ही फिल्मी दुनिया के प्रचलित शब्द सुपर सितारे नहीं थे पर सितारे तो थे ही। उनकी फिल्मों से दर्शक जुड़े क्योंकि लोग उनके सहज अभिनय के कायल थे
गांधी कथाकार चला गया

गांधी कथाकार चला गया

मानसिक आघात के कारण मूर्छित होने के कुछ घंटे पूर्व तक नब्बे वर्ष के गांधी कथाकार नारायणभाई देसाई 9 दिसंबर की अपनी दिनचर्या के बारे में डायरी में लिख रहे थे। वे सोलह वर्ष की उम्र से बिना नागा अपनी डायरी रोज लिखा करते थे।
विदेशी विचारधारा ‘गोडसेवाद’ की खूनी आंधी

विदेशी विचारधारा ‘गोडसेवाद’ की खूनी आंधी

महाराष्ट्र में विदेशी विचारधारा ‘गोडसेवाद’ की खूनी आंधी चल रही है। यह पहले ही दो प्रमुख बुद्धिवादियों को मौत के घाट उतार चुकी है: अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष नरेंद्र दाभोलकर और कम्यूनिस्ट नेता गोविंद पानसरे। तीसरी बलि लेने के लिए कसाई गोडसेवाद अब ठीहे पर डॉ. भारत पाटणकर की गर्दन घसीट लाना चाहता है जो महाराष्ट्र के वैकल्पिक सांस्कृतिक संगठन, विद्रोही सम्मेलन और श्रमिक मुक्ति दल के प्रमुख हैं। विद्रोही सम्मेलन की स्थापना महाराष्ट्र के साहित्य सम्मेलन के समानांतर संगठन के बतौर की गई है। पाटणकर की गर्दन के लिए अपने गंड़ासे की धार सान पर चढ़ाए गोडसेवादियों को मुसलमानों के प्रति कथित नरमी के अलावा सबसे ज्यादा एतराज उनके विद्रोही सम्मेलन का नेतृत्व संभालने पर है।
आप का एजेंडा क्या है

आप का एजेंडा क्या है

क्या आम आदमी पार्टी (आप) सचमुच लोकतांत्रिक मूल्यों या सामाजिक सरोकारों के लिए लड़ना चाहती है या जैसे-तैसे चुनाव जीतना ही इसका पहला मक़सद है? पार्टी के भीतर चल रही उथल-पुथल से यह अहम सवाल पैदा होता है।
'आप’  मत बनो वे

'आप’ मत बनो वे

क्या मनोविज्ञान का पीटर सिद्धांत व्यक्तियों की तरह संगठनों और राजनैतिक दलों पर भी लागू होता है? पीटर सिद्धांत के अनुसार कोई व्यक्ति अपनी अक्षमता की हद तक ही तरक्की करता है। यानी दक्षता की उस सीमा तक तरक्की जहां से संबद्ध व्यक्ति की अक्षमता का प्रदेश शुरू होता है। अभी तक पीटर सिद्धांत का जिक्र सिर्फ व्यक्ति के संदर्भ में होता था।
एक नास्तिक की मौत

एक नास्तिक की मौत

अभिजीत रॉय के पिता ने अपना घर और मातृभूमि पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश, छोडक़र भारत जाने से इन्कार कर दिया था। अभिजीत के पिता ढाका विश्वविद्यालय में फिजिक्स पढ़ाते थे। खुद अभिजीत ने सिंगापुर की नेशनल युनिवर्सिटी में अध्ययन किया। पेशे से इंजीनियर अभिजीत ने एक मुस्लिम महिला रफीदा अहमद 'बॉन्या (वन्या)’ से प्रेम विवाह किया। वह पैदा तो हिंदू हुए थे लेकिन बड़े होकर नास्तिक बने।
भू-अधिग्रहण: आग को सरकारी न्यौता

भू-अधिग्रहण: आग को सरकारी न्यौता

विकास हित में भूमि अधिग्रहण को सरकार और उद्योगों के लिए सुगम बनाने की मोदी सरकार की पहल ने मानो आग को न्यौता दे दिया है। सन 2013 का भू-अधिग्रहण कानून बदलने के अध्यादेश से देशभर में किसानों के बीच जो असंतोष फैला उसका एक नतीजा दिल्ली के ग्रामीण मतदाताओं के मतदान में दिखा, जिन्होंने भाजपा को एक भी सीट नहीं दी और जिस आम आदमी पार्टी को उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में ठुकराया था उसकी झोली भर दी।
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