शहरों और सरकारों ने मजदूरों के साथ काफी अभद्र और अमानवीय व्यवहार किया है। इस व्यवहार से मजदूर कितने विचलित हुए होंगे, यह हम सोच भी नहीं सकते हैं
महामारी और आर्थिक संकट के इस दौर में दूरदृष्टि संपन्न ठोस और स्पष्ट नीतियों और केंद्र-राज्य के बीच बेहतर तालमेल से काम करने की दरकार है, जो कामयाबी दिला सकें
डोमिसाइल सर्टिफिकेट के नियम पर उठ रहे अनेक सवाल
राजनैतिक भविष्य बचाने के लिए दोनों ही पार्टी के नेताओं ने बगावती तेवर अपना लिए हैं
मजदूरों के लिए बस की पेशकश करके कांग्रेस ने गरमाया माहौल
लॉकडाउन के बाद प्रवासियों के राज्य वापसी मुद्दे पर नीतीश पिछड़ गए हैं, आगामी चुनाव में उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है
मौजूदा दौर में कोविड महामारी और लॉकडाउन से बदहाली के अलावा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल में खट्टे-मीठे अनुभव
संकट के समय सार्वजनिक क्षेत्र लड़ाई में सबसे आगे, जबकि सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही
आज जब हम चुनौतियों से आंखें मिला रहे हैं तब मोदी सरकार के पिछले एक साल को अलग नजरिए से देखने की जरूरत है
मोदी सरकार ने पहले साल में वैचारिक एजेंडा पर ही फुर्ती दिखाई, वास्तविक चुनौतियों को नजरंदाज किया
लिपू लेख दर्रे पर नेपाल के हाल के रुख पर चीन की स्पष्ट छाप, भारत को पड़ोसी देश के साथ ऐतिहासिक रिश्ते बचाने को प्रयास करने होंगे
बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ने से संक्रमण रोकना मुश्किल, ऐसे में टेस्टिंग के तरीके पर उठे सवाल
केंद्र के दिशानिर्देशों से बहुत पहले केरल ने अपनाया डब्ल्यूएचओ का ‘टेस्ट, आइसोलेट एंड ट्रेस’ प्रोटोकॉल
सरकार के दावों से विशेषज्ञों की घोर असहमति, मांग बढ़ाए बिना अर्थव्यवस्था पटरी पर कैसे आएगी
छोटे-मझोले उद्यमियों ने बिना कोलेटरल वाले महंगे कर्ज को नकारा, पुराने कर्ज पर चाहते हैं ब्याज माफी
तीन महीने बाद भी मुआवजा नहीं, दंगा पीड़ितों का दोहरा संकट
आंकड़ों से साफ दिखता है कि हम कोरोना के संक्रमण की दर को रोकने में कामयाब नहीं हो पाए। उलटे उसकी वजह से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार भी इस गलती को समझ गई है
कई लोगों ने कहा कि आप जरूरत से ज्यादा सावधानी बरत रही हैं, पर हमने स्क्रीनिंग जारी रखी, दो हफ्ते बाद ही पता चला कि वायरस पूरी दुनिया में फैल रहा है
भूकंप, सूनामी, बाढ़, चक्रवात तमाम आपदाएं आईं लेकिन गरीबों की ऐसी दुर्दशा कभी नहीं हुई। इसलिए इतनी बड़ी आपदा में सेना की मदद क्यों न ली जाए?
सुप्रीम कोर्ट के सवाल न करने की स्थिति का सरकार पूरा-पूरा फायदा उठा रही है। हालात पूरी तरह फासीवाद जैसे हो गए हैं
तालाबंदी में मजदूरों की सुध लेने वाला कोई नहीं, सरकारें मदद की बजाय श्रम कानून खत्म करने में व्यस्त
कश्मीर में जब भी अनुच्छेद 370 को कमजोर करने की कोशिश की गई, राज्य में अशांति बढ़ी
तीन लाख करोड़ रुपये के कोलेटरल फ्री लोन से क्रेडिट कल्चर को नुकसान
स्वदेशी विचार और स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देकर देश विकास का नया मॉडल विकसित करने में सक्षम
नीति आयोग स्वीकार कर चुका है, किसानों को एमएसपी नहीं मिलता, इस वक्त इनकी सुध लेना जरूरी
लोगों के रहन-सहन और काम की शैली के अनुरूप शहरों और इमारतों में बदलाव जरूरी
बेहतर होगा कि किसानों के मामले में भी लेवल प्लेइंड फील्ड सिद्धांत अपनाया जाए और कीमत नियंत्रण के लिए उनके हितों की बलि न दी जाए