मराठी दलित साहित्य में दया पवार, नामदेव ढसाल और लक्ष्मण गायकवाड़ की तरह शरणकुमार लिंबाले राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। पिछले दिनों उनकी रचना सनातन को प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा हुई, जिसमें 15 लाख रुपये की राशि मिलती है। वे यह सम्मान पाने वाले पहले दलित लेखक हैं। भारतीय भाषाओं के साहित्य जगत में इस निर्णय का भरपूर स्वागत हुआ है। लिंबाले की आत्मकथा अक्करमाशी हिंदी में काफी चर्चित रही है। उनसे अरविंद कुमार ने तमाम मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की। प्रमुख अंश:
राज्य में तीन साल में करीब 27 फीसदी बाघों का शिकार हुआ। लेकिन प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) आलोक कुमार के मुताबिक, बाघों की कुल मौतों में 90 फीसदी सामान्य है
भारतीय विद्वान डॉ. सूरज येंग्ड़े और उनके मेंटॉर अफ्रीकी-अमेरिकी दार्शनिक और बौद्धिक प्रो. कॉर्नेल वेस्ट एक लंबी दलित-अश्वेत एकजुटता की परंपरा से आते हैं। यहां दोनों ने भावी आजादी, इसके संभावित आकार, ढांचे और रंग पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। आउटलुक के सुनील मेनन के साथ वीडियो चर्चा में बी.आर. आंबेडकर और डू बॉयस जैसे राजनीतिक विचारकों के संबंधों के परिप्रेक्ष्य में हमने उन्हें अश्वेत जीवन के महत्व (ब्लैक लाइफ मैटर्स) और दलित जीवन के महत्व पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। चर्चा के मुख्य अंश डॉ. येंग्ड़े और प्रो. वेस्ट के बीच वार्ता के रूप में प्रस्तुत हैं -
दलित नेतृत्व में खालीपन और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भीम आर्मी प्रमुख तथा आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने आउटलुक के प्रशांत श्रीवास्तव से विस्तार से बातचीत की है। प्रमुख अंश:
नायक-पूजा प्रधान देश में यह तो लाजिमी है कि डॉ. भीमराव आंबेडकर की वर्षगांठ इस साल भी 14 अप्रैल को जोशोखरोश से मनी। सार्वजनिक छुट्टी रखी गई और संविधान निर्माता को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जो देश के सबसे चर्चित दलित नायक हैं और उन्होंने देश में हजारों वर्ष से कायम जाति व्यवस्था को मिटाना चाहा, जिसने समाज के एक बड़े तबके को वंचित और लाचार बना रखा है।