बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां न सिर्फ अरबों लोगों का जीवन प्रभावित कर रही हैं, बल्कि दूसरी कंपनियों और यहां तक कि सरकारों की भी बाहें मरोड़ने से बाज नहीं आतीं, पसर रहा है नव-उपनिवेशवाद
न बिजली उत्पादन क्षमता कम है, न कोयले की कमी, फिर भी लापरवाहियों और नासमझी भरे फैसलों तथा नीतियों ने देश को संकट में ठेला, जो लोगों और अर्थव्यवस्था को और खस्ताहाल करेगी
प्रश्नपत्र लीक जैसी घटना से नौकरी की तलाश में जद्दोजहद कर रहे नौजवान का ही सपना नहीं टूटता, बल्कि उसके पूरे परिवार का सपना टूटता है जो अपनी जरूरतें दरकिनार कर उसे हर आवश्यक सुविधा मुहैया कराता है