सेना की भर्ती की नई योजना को लेकर शक-शुबहे कई, बाद में दी गई रियायतों को भले पूर्व नियोजित कहा जाए मगर अभी भी उसमें पेंच कई, मोर्चे पर अब किसान और विपक्षी पार्टियां भी आ डटीं
अंग्रेजों के बनाए ड्रेस कोड पर अमल की मजबूरी अब क्यों होनी चाहिए? सवाल तो जायज है लेकिन इससे महत्वपूर्ण यह है कि क्या ऐसा करके वे खास से आम बनने को तैयार हैं?