सफलता की आखिरी कसौटी सिर्फ और सिर्फ योग्यता ही है। खानदान का ठप्पा परदे तक तो पहुंचा सकता है लेकिन उसके आगे की तकदीर का फैसला सिर्फ दर्शकों के हाथ होता है। वे किस खानदान के जानशीन हैं, यह मायने नहीं रखता
मुंबइया फिल्म उद्योग में अंदरूनी और बाहरी की बहस के बीच नए साल में लॉन्च हो रहे ‘स्टार-किड’ क्या कोई चमक बिखेर पाएंगे, क्या फीके पड़ते बॉलीवुड को फिर बुलंद बना पाएंगे
। छात्र राजनीति में एनएसयूआइ के अध्यक्ष से लेकर प्रदेश युवा कांग्रेस प्रमुख और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पदों पर रहते हुए सुक्खू का सांगठनिक तजुर्बा काफी लंबा रहा है
नागरिकता कानून में प्रस्तावित संशोधन (सीएए) और नागरिकों के राष्ट्रीय पंजीयक (एनआरसी) के खिलाफ दिल्ली से शुरू होकर पूरे देश में फैली इस चिंगारी का नाम पड़ा शाहीन बाग आंदोलन
पेले ने किशोरवय में ही अपने खेल, हुनर और जादुई प्रदर्शन से न सिर्फ दुनिया भर के लोगों को चमत्कृत किया बल्कि फुटबॉल को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने इसे लैटिन अमेरिका का औजार बना दिया